देश की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी दर्ज होने के एक दिन बाद विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े आंकड़ों ने भी कमाल कर दिखाया। आईएचएस मार्किट पर्चेजिंग मैंनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) नवंबर में दस महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। घरेलू स्तर पर मांग बढऩे से देश के विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधियों में तेजी आई। हालांकि अभी चिंता पूरी तरह दूर नहीं हुई है। आने वाले समय में ऊंची महंगाई और कोविड-19 का नया स्वरूप रंग में भंग डाल सकता है।
नवंबर में पीएमआई उछल कर 57.6 पर पहुंच गया जो इससे पिछले महीने 55.9 पर था। इस साल जनवरी के बाद से सूचकांक का यह उच्चतम स्तर है। सूचकांक 50 से ऊपर रहना विनिर्माण गतिविधियों में तेजी और इससे कम रहना शिथिलता दर्शाता है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बाद मंगलवार को आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि ने भी उम्मीदें बढ़ा दीं। हालांकि प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र से जुड़ा यह आंकड़ा अक्टूबर का था। सितंबर में ज्यादातर समय बारिश होने की वजह से 8 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि दर कम होकर 4.5 प्रतिशत रह गई थी मगर अक्टूबर में इसमें 7.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। जीडीपी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विनिर्माण कार्यों में सालाना आधार पर 5.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई। कोविड-19 संक्रमण के प्रसार से पहले 2019-20 की समान अवधि की तुलना में यह लगभग 4 प्रतिशत अधिक रही।
इस बीच, लगातार तीन तिमाहियों तक नौकरियों में कटौती करने के बाद कंपनियों ने नवंबर में नए लोगों को रखने का सिलसिला शुरू कर दिया। हालांकि रोजगार सृजन की दर अब भी कमजोर ही कही जा सकती है। मोटे तौर पर देखा जाए तो पिछले 20 महीनों में यह दूसरा मौका रहा जब आर्थिक गतिविधियों में तेजी देखी गई।
बार्कलेज में अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा कि जुलाई के बाद रोजगार की स्थिति पहली बार 50 से अधिक रही। उन्होंने कहा कि कोविड-19 से बचाव के टीकाकरण में तेजी से हालात में सुधार हुए और उच्च अनुबंधों वाली सेवाएं बहाल होने से श्रमिकों की मांग भी बढ़ गई।
मांग-आपूर्ति में असंतुलन की वजह से महंगाई ऊंचे स्तर पर रही। कच्चे माल की कीमतें बढ़ाने से लागत भी बढ़ी और यह मोटे तौर पर अक्टूबर में 92 महीनों के उच्चतम स्तर के इर्द-गिर्द ही रही। कंपनियों ने बढ़ी लागत का कुछ बोझ वस्तुओं की कीमतें बढ़ाकर ग्राहकों पर डालने से गुरेज नहीं किया।
कारोबार वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए विनिर्माता उत्साहित जरूर दिखे मगर उनका सकारात्मक नजरिया कमजोर होकर 17 महीनों के निचले स्तर पर आ गया। कंपनियों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि महंगाई ऊंचे स्तर पर रहने से मांग कम हो सकती है जिसका सीधा असर भविष्य में उत्पादन पर होगा।
आईएचएस मार्किट में इकनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलीयाना डी लिमा ने कहा, ‘कोविड-19 के नए खतरनाक स्वरूप और महंगाई भविष्य में आर्थिक गतिविधियों की राह में बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। फिलहाल कंपनियां अतिरिक्त लागत का बोझ काफी हद तक स्वयं वहन कर रही हैं और वस्तुओं की कीमतों में मामूली इजाफा कर रही हैं।’
उन्होंने कहा कि अगर कच्चे माल की कमी और आपूर्ति से जुड़ी कठिनाइयां इसी तरह जारी रहीं तो कंपनियों को कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं जिससे मांग पर असर पडऩे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
नवंबर में बिजली खपत में हुआ इजाफा
विद्युत मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में बिजली की खपत नवंबर में 3.6 फीसदी बढ़कर 100.42 अरब यूनिट (बीयू) हो गई, जो लगातार दूसरे महीने हुई वृद्धि को दर्शाता है। देश में बिजली की खपत इस साल अक्टूबर में 3.9 फीसदी बढ़कर 113.40 बीयू हो गई थी जो पिछले साल इसी महीने में 109.17 बीयू थी। भाषा
