भारत ने आश्वस्त किया है कि उसके ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों की दिशा में अमेरिका का महत्त्व बरकरार है। मगर उसने रूस से कच्चे तेल के आयात के बारे में कुछ भी नहीं कहा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत का लक्ष्य आने वाले वर्षों में अमेरिका के साथ ईंधन उत्पादों में अपना व्यापार बढ़ाने का है। उन्होंने मंगलवार को न्यूयॉर्क में कहा, ‘दुनिया मानती है कि यह (ऊर्जा सुरक्षा) एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम सभी को मिलकर काम करना होगा। हम अमेरिका सहित दुनिया भर से ईंधन के बड़े आयातक हैं। हम आगामी वर्षों के दौरान अमेरिका के साथ ईंधन उत्पादों के व्यापार में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।’
मंत्री ने कहा, ‘हमारे ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों में अमेरिका की भागीदारी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे स्थिरता सुनिश्चित होगी।’ उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारत के लिए ईंधन के विविध स्रोत सुनिश्चित होंगे बल्कि अमेरिका के साथ अन्य क्षेत्रों में भी असीम संभावनाएं पैदा होंगी। गोयल न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूतावास, अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) और रीन्यू द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
भारत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले महीने अमेरिका ने भारतीय आयात पर 50 फीसदी शुल्क लगा दिया है जिसमें रूस से तेल खरीदने पर जुर्माने के रूप में 25 फीसदी शुल्क शामिल है। गोयल और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित कई शीर्ष मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी अमेरिकी पक्ष से मिलने और दोनों देशों के बीच प्रमुख मुद्दों को सुलझाने के लिए फिलहाल न्यूयॉर्क में हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मंगलवार को कहा कि भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के मुद्दे पर जयशंकर के साथ उनकी बैठक में काफी प्रगति हुई। जहां तक पीयूष गोयल का सवाल है, तो उनकी प्राथमिकता दोनों पक्षों के लिए लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में चर्चा को आगे बढ़ाना है। उन्होंने न्यूयॉर्क में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जैमीसन ग्रीर से मुलाकात की और व्यापार से संबंधित प्रमुख मुद्दों के अलावा व्यापार समझौते पर भी चर्चा की।
गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि परमाणु ऊर्जा एक अन्य ऐसा क्षेत्र है जहां भारत और अमेरिका साथ मिलकर काम कर सकते हैं और योजना बना सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके बारे में हम लंबे समय से बात कर रहे हैं। मगर कुछ मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है। मैं समझता हूं कि हम परमाणु ऊर्जा में निजी क्षेत्र के प्रयासों का समर्थन करने के लिए काम कर रहे हैं।’
गोयल ने यह भी कहा कि आगे महत्त्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देखना होगा कि भारत यह सुनिश्चित करते हुए स्रोतों में किस प्रकार विविधता ला सकता है कि व्यापार का इस्तेमाल हथियार बनाने में नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हम सभी को अपने नियामकीय ढांचे को दुरुस्त करने के लिए गंभीरता से काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बिना किसी चिंता के सीमा-पार व्यापार की गारंटी कैसे दी जा सकती है।’
व्यापार और जलवायु परिवर्तन के मसले पर मंत्री ने कहा कि यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के दूरगामी परिणाम हैं। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में यह यूरोपीय संघ को अलग-थलग कर सकता है। यह उनकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि उनके आसपास के बाकी सभी लोग व्यापार कर रहे होंगे। इससे उनकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति पैदा होगी।’ उन्होंने कहा कि वे अपने बुनियादी ढांचे और जीवनयापन की लागत को अव्यवहार्य बना देंगे। उनके उत्पादों की बाजार हिस्सेदारी घट जाएगी और निर्यात कम हो जाएगा।