S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि अगर आम चुनावों के बाद अगली सरकार देश के चालू खाते के घाटे को बढ़ाए बगैर बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में धन लगाती है और राजकोषीय घाटे को काफी कम रख सकती है तो भारत की सॉवरिन रेटिंग मजबूत हो सकती है।
एसऐंडपी ने 2024 में एशिया की अर्थव्यवस्थाओं में चुनाव और सॉवरिन रेटिंग के मसलों पर एक रिपोर्ट में कहा, ‘भारत पर हमारी सॉवरिन रेटिंग अभी औसत से ऊपर चल रही आर्थिक वृद्दि और बाहरी गणित पर निर्भर होगी। अगली सरकार की सफलता चालू खाते के घाटे को काबू में रखते हुए बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश पर निर्भर होगी।’
भारत में आम चुनाव इस साल अप्रैल मई में हो सकते हैं। एसऐंडपी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के एक दशक के शासन के बाद अगर सत्तासीन गठबंधन बदलता है तो नीतिगत अनिश्चितता आ सकती है।
इसमें कहा गया है, ‘अगर अलग गठजोड़ सरकार बनाता है तो निवेशक और कारोबारी यह फैसला करने में कुछ वक्त ले सकते हैं कि क्या मजबूत वृद्धि जारी रहेगी। ज्यादातर बाजार हिस्सेदार अनुमान लगा रहे हैं कि भाजपा अगली सरकार का नेतृत्व करती रहेगी।’
फिच रेटिंग्स ने एक अलग रिपोर्ट में कहा है कि आगामी सरकार अपनी राजकोषीय योजना को लेकर स्थिति ज्यादा साफ कर सकेगी। एजेंसी ने कहा, ‘चुनाव के पहले के बजट में सीमित नीतिगत घोषणाएं हैं, लेकिन बजट में घाटे का लक्ष्य सामान्यतया चुनाव के बाद के बजट में जारी रखा जाता है, जब सत्तासीन दल की सरकार जारी रहती है। ऐसा हम इस बार मान रहे हैं।’
फिच ने कहा कि भारत की केंद्र सरकार ने अपने अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे को पहले के दो वर्षों की तुलना में तेजी से कम करने का लक्ष्य रखा है, इससे सरकार के पूंजीगत निवेश बढ़ाने की प्रतिबद्धता का पता चलता है। फिच ने कहा कि हमें अभी भी लगता है कि वित्त वर्ष 2026 के घाटे का लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा।