वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत में विलय एवं अधिग्रहण (Mergers and acquisitions) तथा अन्य कॉरपोरेट सौदे 2022 में मूल्य के लिहाज से 2021 की तुलना में 29 फीसदी बढ़कर कोविड-पूर्व के स्तर से अधिक 159 अरब डॉलर पर पहुंच गए। इस दौरान कुल 2,103 लेनदेन हुए।
PWC की रिपोर्ट ‘भारत में सौदे: वार्षिक समीक्षा 2022’ में कहा गया है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रुख के उलट भारत में कॉरपोरेट सौदों में स्थिरता देखने को मिली। रिपोर्ट के अनुसार, विलय एवं अधिग्रहणों का कुल सौदा मूल्य में उल्लेखनीय हिस्सा रहा।
विलय एवं अधिग्रहण के 20 से अधिक 107 अरब डॉलर के सौदे हुए। यह 2021 की तुलना में लगभग दोगुना है। इसमें कहा गया है, ‘HDFC लिमिटेड और HDFC बैंक विलय के 60 अरब डॉलर सौदे को यदि अलग कर दिया जाए, तो सौदा मूल्य 2021 की तुलना में लगभग 15 फीसदी कम है। वहीं निजी इक्विटी (PE) निवेश 2021 की तुलना में 22 फीसदी कम यानी 52 अरब डॉलर रहा। हालांकि, मूल्य और मात्रा के संदर्भ में यह पिछले तीन साल की तुलना में 20 फीसदी अधिक है।’
PWC इंडिया के भागीदार और लीडर-सौदे दिनेश अरोड़ा ने कहा, ‘2022 में हमने देखा कि भारत पर निवेशकों का दृष्टिकोण दीर्घकालिक है। हालांकि, मौजूदा बाजार में सुस्ती है, लेकिन इससे किसी को अधिक चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
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हमारा मानना है कि विलय एवं अधिग्रहण कंपनियों के लिए आगे बढ़ने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को एकीकृत करने, व्यवधान को मात देने और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एक आवश्यक माध्यम होगा।’ रिपोर्ट में विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों पर कहा गया है कि पिछले साल कुल सौदा मूल्य में घरेलू सौदों का हिस्सा 72 फीसदी रहा। यदि इसमें HDFC के विलय सौदे को भी शामिल किया जाए, तो यह आंकड़ा 88 फीसदी हो जाएगा।