अर्थव्यवस्था

समुद्री क्षेत्र की हो अपनी सुरक्षा इकाई: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

जहाज के मालिक कार्गो, लोगों के जीवन की क्षति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी संभावित दुर्घटना की भरपाई के लिए P&I बीमा खरीदते हैं।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
ध्रुवाक्ष साहा   
Last Updated- October 19, 2023 | 11:10 PM IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि समुद्री क्षेत्र के लिए भारत को अपनी सुरक्षा और क्षतिपूर्ति (पीऐंडआई) इकाई बनाने की जरूरत है, जिससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और दबावों के प्रति देश की संवेदनशीलता कम हो सके।

वैश्विक समुद्री शिखर सम्मेलन 2023 को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की इकाई गठित होने से भारत को शिपिंग के परिचालन में ज्यादा रणनीतिक लचीलापन मिल सकेगा। सीतारमण ने कहा, ‘इससे सुरक्षा एवं क्षतिपूर्ति के व्यवसाय से जुड़े विशेष क्षेत्र में भी पैर जमाने में मदद मिलेगी, जिस पर इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम लोगों का वर्चस्व है और भारत की उपस्थिति नहीं है।’

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के मालिकाना वाली और भारत स्थित इकाई होने से तटीय जलमार्ग के साथ अंतर्देशीय जलमार्ग में परिचालन के दौरान जहाजों की देनदारियों को सुरक्षा मिल सकेगी।

जहाज के मालिक कार्गो, लोगों के जीवन की क्षति और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली किसी संभावित दुर्घटना की भरपाई के लिए पीऐंडआई बीमा खरीदते हैं। सामान्यतया यह कवर समान विचारधारा वाले जहाज के मालिकों के क्लब से खरीदा जाता है, जो मुनाफे के लिए नहीं बने हैं।

अंतरराष्ट्रीय समूह (आईजी) के 13 पीऐंडआई क्लब हैं। यह समूह समुद्र मार्ग से कुल ढुलाई के 90 से 95 प्रतिशत की देनदारी को कवर करते हैं।

बीते दिनों में रूस यूक्रेन युद्ध के कारण रूस से तेल की आपूर्ति प्रभावित हुई थी क्योंकि यूपोरीय संघ के प्रतिबंधों के कारण ऐसी जहाजों को बीमा नहीं मिल रहा था। यूरोपीय संघ (ईयू) के बीमाकर्ताओं को रूसी तेल ले जाने वाले टैंकरों का बीमा करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

सीतारमण ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारतीय सुरक्षा क्षतिपूर्ति सेवाएं भारत में समुद्री मध्यस्थता को प्रोत्साहित करने और बढ़ाने में भी मदद कर सकती हैं, ताकि भारतीय विवादों का समाधान यहां किया जा सके। सीतारमण ने कहा कि हमें मध्यस्थता प्रक्रियाओं तथा कानूनों को सुधारने व मजबूत करने की जरूरत है ताकि वे वैश्विक मानकों के अनुरूप बन सकें। सीतारमण ने कहा, ‘जब हमने इसके लिए एक प्रणाली विकसित कर ली है तो हमारे पास एक मध्यस्थता केंद्र भी हो सकता है।’

समुद्री क्षेत्र के वित्तपोषण में सुधार की आवश्यकता को लेकर उन्होंने स्वीकार किया कि एक मजबूत बही-खाते के बावजूद बैंक इस क्षेत्र के वित्तपोषण के बारे में बहुत उत्साहित नहीं हैं। इसकी मुख्य वजह क्षेत्र से जुड़े अधिक जोखिम हैं।

सीतारमण ने कहा कि बैंकों को सरकार के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है, जिससे कि शिपिंग सेक्टर की जरूरतों को समझा जा सके और इस सेक्टर को बुनियादी ढांचा या उद्योग के रूप में श्रेणीकरण किए बगैर इस क्षेत्र की जरूरतें पूरी की जा सकें। उन्होंने कहा कि शिपिंग सेक्टर का कहना है कि बैंक हमें तब तक नहीं पूछेंगे, जब तक कि आप हमें उद्योग का दर्जा नहीं दे देते। उन्होंने कहा कि वह इस क्षेत्र में अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ बातचीत कर रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘मैं यह भी चाहती हूं कि निजी क्षेत्र के बैंक पोत परिवहन और समुद्री क्षेत्रों को अधिक सक्रिय रूप से देखें।’

मंत्री ने कहा कि परिचालक को परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिये स्वयं धन जुटाने पर भी ध्यान देना चाहिए। अभी 12 सरकारी बंदरगाहों में से 9 ने मुद्रीकरण के लिए 35 परियोजनाओं की पहचान की है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो राष्ट्रीय संपत्ति मुद्रीकरण पाइपलाइन के हिस्से के रूप में 14,483 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को बाजार में चढ़ाया जा सकता है।

First Published : October 19, 2023 | 11:10 PM IST