प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को जमकर डॉलर की बिकवाली की, जिससे कारोबारी सत्र के अंतिम घंटे में रुपये में तेजी आई। घरेलू मुद्रा में तीन वर्षों में एक दिन में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई क्योंकि यह 1.1 प्रतिशत की मजबूती के साथ 89.29 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जबकि पिछले सत्र में यह 90.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। डीलरों ने कहा कि इस सप्ताह घरेलू मुद्रा में छह महीने में सबसे बड़ी साप्ताहिक वृद्धि दर्ज की गई क्योंकि आरबीआई ने डॉलर के मुकाबले एकतरफा गिरावट को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया।
जब इस सप्ताह की शुरुआत में लगातार भारत से धन बाहर जा रहा था और देशों के बीच व्यापार वार्ता रुकी हुई थी तब भारतीय रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था।
एक बाजार प्रतिभागी ने कहा, ‘हम अगले सप्ताह की शुरुआत में डॉलर की बिकवाली देख सकते हैं। आरबीआई की तरफ से जोरदार हस्तक्षेप की इच्छा के साथ, दिसंबर के अंत तक रुपया 89.50 प्रति डॉलर या 90 प्रति डॉलर के आसपास स्थिर होने की संभावना है। आज का हस्तक्षेप 3 अरब डॉलर-5 अरब डॉलर की सीमा में हो सकता है क्योंकि कम मात्रा में इतनी तेज चाल की संभावना नहीं हो सकती है।’
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई का यह कदम सट्टेबाजी वाले पोजीशन को खत्म करने और उन व्यापारियों के बीच दहशत पैदा करने के उद्देश्य से था जिन्होंने डॉलर पर खरीद और रुपये पर बिक्री के दांव लगा रखे थे। उन्होंने कहा कि आरबीआई की दूसरे सत्र में डॉलर की बिक्री इस बात के संकेत देती है कि वह एकतरफा मूल्यह्रास को बर्दाश्त नहीं करेगा, जो सट्टेबाजी वाले पोजीशन को रोकने और बाजार में दोतरफा जोखिम बहाल करने में मदद करता है।
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सप्ताह के दौरान अधिक अस्थिरता के कारण मुद्रा लगातार चार सत्रों के लिए नए निचले स्तर पर पहुंच गई और 91.08 प्रति डॉलर से 89.25 प्रति डॉलर के बीच झूलते हुए रुपया डॉलर के मुकाबले अंतत: करीब 1.3 प्रतिशत मजबूत हुआ। डीलरों ने कहा कि बाजार में खरीद के सट्टा पोजीशन के दायरे की पहचान करने के बाद आरबीआई ने अधिक आक्रामक रूप से हस्तक्षेप करने का फैसला किया, जिससे हाजिर दर नीचे आ गई।
मेकलाई फाइनैंशियल सर्विसेज के उपाध्यक्ष रितेश भंसाली ने कहा, ‘आज के कारोबारी सत्र के अंतिम मिनट में भारतीय रुपये में तेज वृद्धि देखी गई, जो भारतीय रिजर्व बैंक के सक्रिय हस्तक्षेप के दम पर था। बाजार के प्रतिभागी इस कदम को बेहतर धारणा के संभावित संकेत के रूप में देखते हैं। वास्तव में अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर प्रगति को लेकर उम्मीदें बन रही हैं।’ सप्ताह के दौरान रुपये ने तेज बदलाव दर्शाया और एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा शुक्रवार को बेहतर प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ अनुसंधान विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘भारतीय रुपया एशियाई मुद्राओं की रैंकिंग में सबसे ऊपर आ गया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कंपनियों के पास बहुत सारे डॉलर आ गए और लोगों का भरोसा फिर से बढ़ने लगा, जिससे उन्होंने जोखिम लेने में दिलचस्पी दिखाई। अब, क्योंकि आरबीआई बाजार में सक्रियता से दखल दे रहा है, ऐसे में निकट भविष्य के लिए रुपये में नजरिया मंदी का हो गया है। अहम तकनीकी स्तरों को देखें तो रुपये को 89.25 तक समर्थन है और अगर यह बढ़ा तो भी 89.90 से ऊपर नहीं जा पाएगा।’
चालू कैलेंडर वर्ष 2025 के दौरान रुपया अब भी अन्य एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा है, जिसमें अब तक 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष 2026 के दौरान, इसमें 4.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।
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डेरिवेटिव बाजार के पोजिशन से जुड़े नए आंकड़ों से पता चला है कि आरबीआई ने अनुमानित तौर पर चालू वर्ष के जून और अक्टूबर महीने के बीच विदेशी मुद्रा बाजार में लगभग 30 अरब डॉलर का हस्तक्षेप किया है जिसमें से 18 अरब डॉलर जून-सितंबर के दौरान और 10 अरब डॉलर अक्टूबर में जुड़े हैं। ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर के अंत तक आरबीआई की शॉर्ट डॉलर फॉरवर्ड पोजिशन बढ़कर 63 अरब डॉलर हो गई। सितंबर के अंत तक डॉलर की कुल शॉर्ट पोजीशन 59 अरब डॉलर थी।
अक्टूबर में, आरबीआई रुपये को 88.80 से निचले स्तर पर जाने से रोकने के लिए लगातार डॉलर की आपूर्ति कर रहा था। इस बीच, आरबीआई के आंकड़ों से पता चला है कि 12 दिसंबर को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.689 अरब डॉलर बढ़कर 688.949 अरब डॉलर हो गया। पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह के दौरान, समग्र भंडार 1.033 अरब डॉलर बढ़कर 687.26 अरब डॉलर हो गया था।
इस हफ्ते विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), जो हमारे मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा है, 90.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 557.787 अरब डॉलर हो गई। एफसीए, डॉलर में गिना जाता है और इसमें यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राएं भी हमारे मुद्रा भंडार में होती हैं जिनके दाम बढ़ने या घटने का असर भी शामिल होता है। आरबीआई ने यह भी बताया कि सोने के भंडार का मूल्य भी 75.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 107.741 अरब डॉलर हो गया।