सरकार ने आज 17 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 2 से 7.5 फीसदी के दायरे में मामूली बढ़ोतरी की घोषणा की। इस साल फसली ऋणों के लिए ब्याज अनुदान योजना भी तीन महीने और यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दी गई।
हालांकि कैबिनेट द्वारा मंजूर इस एमएसपी बढ़ोतरी में मोदी सरकार की किसानों को फसल लागत से 50 फीसदी अधिक दाम देने की नीति का पालन किया गया है। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नई कीमतें उत्पादन लागत से 50 से 83 फीसदी अधिक होंगी। आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने मझोले उद्यमों की परिभाषा का दायरा और बढ़ाया है। पिछले महीने आर्थिक पैकेज की घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस परिभाषा का दायरा बढ़ाया था। खरीफ की मुख्य फसल धान के एमएसपी में 2.89 से 2.92 फीसदी बढ़ोतरी होगी। वहीं दलहनों का समर्थन मूल्य 2.07 से 5.26 फीसदी तक बढ़ेगा, जबकि बाजरे के एमएसपी में सबसे अधिक 7.5 फीसदी बढ़ोतरी की गई है।
कारगिल इंडिया के अध्यक्ष सिमोन जॉर्ज ने कहा, ‘इस कदम से इस मुश्किल समय में किसानों को पर्याप्त भरोसा मिलेगा, जब खपत घट गई है और निजी उद्यमियों की कृषि जिंस खरीद कम हो गई है।’ हालांकि केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि एमएसपी की घोषणा एक चीज है और इसका लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले, यह सुनिश्चित करना पूरी तरह अलग चीज है। उन्होंने कहा, ‘अगर एमएसपी पर बड़ी मात्रा में खरीद नहीं की जाएगी तो इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा।’