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Manufacturing PMI: विनिर्माण वृद्धि अप्रैल में गिरकर 58.8 पर, नए कारोबार में हुआ तेजी से इजाफा

HSBC की तरफ से जारी भारत का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में गिरकर 58.8 पर आ गया था जबकि यह मार्च में 16 वर्ष के उच्च स्तर 59.1 पर था।

Last Updated- May 02, 2024 | 10:03 PM IST
manufacturing PMI

अप्रैल में भारत के विनिर्माण वृद्धि के आंकड़े में कुछ गिरावट आई लेकिन मांग कायम रहने का संकेत मिला। एक निजी रिपोर्ट में गुरुवार को बताया गया कि विनिर्माण क्षेत्र में बीते साढ़े तीन वर्ष का दूसरा सबसे अच्छा सुधार हुआ।

HSBC की तरफ से जारी भारत का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में गिरकर 58.8 पर आ गया था जबकि यह मार्च में 16 वर्ष के उच्च स्तर 59.1 पर था। इस सूचकांक में 50 से ऊपर का स्तर वृदि्ध को बताता है और इससे कम गिरावट का संकेतक है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘कंपनियों के नए कारोबार में तेजी से इजाफा हुआ और उन्होंने इस तेजी के अनुरूप उत्पादन बढ़ाया। बिक्री का अनुमान सकारात्मक रहने के कारण खरीदारी का स्तर बढ़ाया गया और इनपुट स्टॉक उस उच्चतम स्तर तक चला गया जो कि आंकड़े संग्रह करने के 19 वर्षों के दौरान सर्वा​धिक है। लागत का दबाव उच्च था लेकिन यह ऐतिहासिक रूप से सुस्त था। इससे महंगाई जनवरी के बाद सबसे ज्यादा बढ़ी।’

भारतीय विनिर्माताओं ने नए ऑर्डर तेजी से बढ़े और इससे भारतीय और विदेशी ग्राहकों की मांग जबरदस्त ढंग से बढ़ने की जानकारी मिली। 2021 के बाद विस्तार का स्तर दूसरा सबसे ऊंचा था।

सर्वेक्षण के अनुसार, ‘मांग के अच्छे रुझानों और सफलतापूर्वक मार्केटिंग के अभियान चलाए जाने के कारण वृद्धि को जबरदस्त बढ़ावा मिला। कंपनियों को एशिया, आस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका में बिक्री से भी लाभ मिला। अप्रैल में नए निर्यात के ऑर्डर तेजी से बढ़े थे। अप्रैल में नए ऑर्डर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई लेकिन कुल बिक्री के मामले में नए ऑर्डर सुस्त थे। यह दर्शाता है कि घरेलू मांग के कारण प्रमुख तौर पर वृद्धि हुई।’

अप्रैल विनिर्माण पीएमआई इस महीने के लिए पहले जारी अनुमान 59.1 के करीब है। अप्रैल के जारी आंकड़े अक्टूबर 2020 के बाद लगातार 34वें माह विनिर्माण में वृदि्ध को दर्शाते हैं।

HSBC भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने बताया कि अप्रैल पीएमआई के आंकड़ों में संचालन परिस्थितियों में दूसरी बार सबसे तेजी से सुधार हुआ था। इन आंकड़ों को जबरदस्त मांग से बल मिला। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में और विस्तार हुआ। हालांकि मार्च की तुलना में यह थोड़ा धीमा था।

उन्होंने बताया, ‘आपूर्तिकर्ताओं के डिलीवरी समय ने पर्चेजिंग गतिविधियों के सुधार में योगदान दिया। इसके अलावा कंपनियों के इस साल के प्रति सकारात्मक नजरिये से स्टाफिंग के स्तर में विस्तार हुआ। मूल्य के स्तर पर कच्चे माल की उच्च लागत और श्रम के कारण लागत में मामूली वृद्धि हुई लेकिन महंगाई ऐतिहासिक औसत से नीचे रही। हालांकि कंपनियों ने मांग जबरदस्त ढंग से मजबूत रहने के कारण लागत बढ़ने का भार ग्राहकों पर डाल दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि कंपनियों का मार्जिन बेहतर हुआ।’

विनिर्माण क्षेत्र में नौकरी सृजन की गति अप्रैल में मध्यम थी लेकिन यह सितंबर 2023 के बाद सर्वाधिक है। कंपनियों ने इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त स्टॉफ की सेवाएं ली थीं।

First Published - May 2, 2024 | 10:03 PM IST

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