पशुधन, मछली पालन और एक्वाकल्चर के सकल मूल्य उत्पादन (GVO) में 2020-21 में समाप्त दशक (2011-12 से 2020-21) में सबसे तेज बढ़ोतरी हुई है। वहीं फसल क्षेत्र की हिस्सेदारी इस दौरान कुल जीवीओ में 62.4 प्रतिशत से घटकर 54.9 प्रतिशत पर आ गई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के हाल की रिपोर्ट में यह सामने आया है।
इस रिपोर्ट से एक बार फिर भारत के कृषि व संबंधित क्षेत्रों में पशुधन और मत्स्य पालन का महत्त्व सामने आया है। दिलचस्प है कि इसमें निजी क्षेत्र का हस्तक्षेप ज्यादा है और सरकार का हस्तक्षेप बहुत कम या नहीं के बराबर है।
वित्त वर्ष 21 के आंकड़ों से भी यह साफ होता है कि कृषि एवं संबंधित गतिविधियों का सकल मूल्यवर्धन (GVA) एक दशक में सर्वाधिक और देश के कुल जीवीए का 20.3 प्रतिशत था। हालांकि इसकी वजह यह भी हो सकती है कि कोविड के कारण अन्य क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब रहा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फसल क्षेत्र में भी फलों और सब्जियों की जीवीओ में हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही, इसके बाद मोटे अनाज का स्थान आता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समूह के रूप में मोटे अनाज का जीवीओ 3,36,000 करोड़ रुपये रहा, जो 2011-12 में सभी फसल समूहों में सर्वाधिक है। बहरहाल 2020-21 में फलों और सब्जियों का जीवीओ 3,95,000 करोड़ रुपये था, जो मोटे अनाज की तुलना में करीब 1,000 करोड़ रुपये ज्यादा है।’
राज्य के हिसाब से देखें तो रिपोर्ट से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में सभी वर्षों में (2011-12 से 2020-21 के दौरान) मोटे अनाज का उत्पादन सर्वाधिक रहा। हालांकि पूरे देश के उत्पादन के हिसाब से देखें तो इसकी हिस्सेदारी 2011-12 के 18.6 प्रतिशत की तुलना में थोड़ा घटकर 2020-21 में 18.3 प्रतिशत रह गई है। मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी मोटे अनाज के जीवीओ में उल्लेखनीय रूप 2011-12 के 6.2 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 8.9 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि फलों और सब्जियों के उत्पादन में पश्चिम बंगाल इन वर्षों के दौरान सबसे ऊपर रहा है, लेकिन पूरे देश में हुए उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 2011-12 के 13.9 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 11.7 प्रतिशत हो गई है।
वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश की हिस्सेदारी इस दौरान बढ़ी है, जो 2020-21 में क्रमशः दूसरे और पांचवें स्थान पर हैं।
पूरे देश में हुए उत्पादन में तमिलनाडु और गुजरात की हिस्सेदारी 2011-12 की तुलना में 2020-21 में घटी है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2011-12 से 2020-21 के दौरान फलों और सब्जियों के वास्तविक उत्पादन में स्थिर वृद्धि हुई है। यह 2011-12 के करीब 2,87,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 3,95,000 करोड़ रुपये हो गया है।’
फलों और सब्जियों की श्रेणी में फल, सब्जियां व फूलों की खेती आती है।
फलों में सबसे ज्यादा उत्पादन आम का हुआ है, उसके बाद केले का स्थान है। इन दोनों की कुल मिलाकर फल उत्पादन में हिस्सेदारी पांचवें हिस्से से ज्यादा है। सब्जियों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी आलू और टमाटर की है, जिनकी इस श्रेणी में कुल हिस्सेदारी करीब 14 प्रतिशत है।