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FY24: शीतकालीन सत्र के एजेंडा में ज्यादा नकदी की मांग की संभावना कम

मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के चुनाव परिणाम दिसंबर को घोषित किए जाने के अगले दिन 4 दिसंबर से 22 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र होगा।

Last Updated- November 23, 2023 | 4:16 PM IST
FY24 supplementary grants: Big cash flow unlikely this winter session

वित्त वर्ष 2023-24 में अनुदान के लिए पहली पूरक मांग संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश की जानी है। इसमें बहुत ज्यादा अतिरिक्त नकदी की मांग पेश किए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि सरकार नॉमिनल जीडीपी वृद्धि सुस्त होने के कारण राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.9 प्रतिशत रखने के लक्ष्य पर कायम रहना चाहती है।

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, ‘हम प्रावधानों में मामूली बदलाव देख रहे हैं। हम विभागों के साथ संशोधित अनुमानों पर चर्चा पूरी कर चुके हैं और इसके आधार पर अनुपूरक मांग तैयार करेंगे। मुझे नहीं लगता है कि अभी बड़े नकदी प्रवाह की उम्मीद है।’

मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के चुनाव परिणाम दिसंबर को घोषित किए जाने के अगले दिन 4 दिसंबर से 22 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र होगा।

इन 19 दिनों में 15 बैठकें होंगी। यह इस लोकसभा का दूसरा सबसे छोटा शीतकालीन सत्र होगा।

अनुपूरक मांगों में व्यय के नए मद (नई सेवाएं) शामिल होते हैं जो बजट में शामिल नहीं थे। इसमें प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना और योजनाओं में बढ़ा खर्च जैसे ग्रामीण रोजगार योजना व खाद्य सब्सिडी शामिल हैं।

विभागों के अनुरोध को अस्वीकार करने से खर्चे में कटौती आती है। अधिकारी ने बताया कि सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के साथ अधिक नकदी के संतुलन को कायम रख रही है। इसका कारण यह है कि नवंबर/दिसंबर में बड़ा भुगतान (2 लाख करोड़ डॉलर) करना है।

सूत्रों ने बताया कि हम खर्च को सभी से लेकर किसी के लिए भी प्रतिबंधित नहीं कर रहे हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही (अप्रैल-दिसंबर) में राजकोषीय घाटे के मात्र 39 फीसदी लक्ष्य को पूरा किया है।

कुछ अर्थशास्त्रियों ने सरकारी खर्च कम होने पर चिंता जताई है। उनके अनुसार सरकारी खर्च कम होने पर अर्थव्यवस्था की मांग घट सकती है। हालांकि अभी तक राजस्व संग्रह जबरदस्त रहा है।

थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट के कारण वित्त वर्ष 24 में नॉमिनल जीडीपी कम रहने रहने की उम्मीद है। लिहाजा इस अवधि में बजट में तय 10.5 फीसदी के लक्ष्य से कम नॉमिनल जीडीपी रहेगा। अधिकारियों के मुताबिक नॉमिनल जीडीपी के अलावा सरकार इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) के 5.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कायम रखेगी।

अनुदान की अनुपूरक मांग नकद, टोकन या तकनीकी अनुदान के रूप में हो सकती है। हालांकि बजट में नकदी के नए आवंटन की उम्मीद नहीं दिखती है। टोकन के रूप में कम आवंटन हो सकता है। तकनीकी आवंटन को एक अलग योजना के लिए वर्तमान आवंटन में बदल दिया गया है।

सरकार ने बीते साल घोषणा की थी कि वह एक साल में 2 अनुपूरक मांगें पेश करेगी जबकि आमतौर पर एक साल में 3 अनुपूरक मांगे पेश की जाती हैं। अधिकारी ने बताया, ‘विभागों को बजट के अनुरूप अक्लमंदी से कदम उठाने के लिए कहा गया ताकि वह हर बार और कम खर्चे के लिए नहीं आएं।’ अनुदान के लिए दूसरी अनुपूरक मांग बजट सत्र के दौरान फरवरी में पेश की जाएगी।

अधिकारी ने अंतरिम बजट के बारे में बताया कि बजट के लिए गणना अस्थिर नहीं हो सकती है और यह विश्वसनीय हो। ऐसा नहीं होने पर बाजार को गलत संदेश जाएगा। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सरकार की वित्त वर्ष 24 के मौजूदा उधारी कैलेंडर में छेड़छाड़ की कोई योजना नहीं है।

First Published - November 19, 2023 | 7:56 PM IST

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