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Jute export: वैश्विक सुस्ती से जूट के निर्यात को झटका

इंडियन जूट मिल एसोसिएशन (आईजेएमए) के आंकड़ों के मुताबिक आठ सालों के बाद जूट के निर्यात मूल्य में गिरावट आई है।

Last Updated- July 20, 2023 | 10:57 PM IST
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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) छिड़ने के बाद वैश्विक बाजार में सुस्ती आने का प्रतिकूल असर जूट के कारोबार पर पड़ा है। इससे जूट के ‘सुनहरे रेशे’ की छवि भी धूमिल हुई है।

जूट को पर्यावरण अनुकूल माना जाता है और इसे सतत पैकेजिंग की सामग्री के रूप में वैश्विक स्तर पर बढ़ावा भी दिया जा रहा है। विदेशी खुदरा दिग्गज जैसे यूके की सुपरमार्केट टेस्को और जापान की खुदरा कंपनी मुजी प्लास्टिक से दूर होने की कवायद में जूट को अपना रहे हैं। पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट संबंधित चिंताओं के कारण जूट के सामान को बढ़ावा दिया जा रहा है।

केयर एज की मार्च की रिपोर्ट के मुताबिक जूट के उत्पादों के निर्यात (Jute Export) में 2015-16 से 2021-22 तक 12 फीसदी की औसत चक्रवृद्धि हुई है। लेकिन इसकी रफ्तार 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में थम गई। इसका कारण यह था कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से इसकी मांग में गिरावट आनी शुरू हो गई थी।

इंडियन जूट मिल एसोसिएशन (आईजेएमए) के आंकड़ों के मुताबिक आठ सालों के बाद जूट के निर्यात मूल्य में गिरावट आई है। यह जानकारी वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के आंकड़ों से जुटाई गई है।

साल 2021-22 (वित्त वर्ष 22) में जूट के निर्यात में करीब 37.8 फीसदी का उछाल आई थी और इसके अगले साल वित्त वर्ष 23 में गिरावट आई। वित्त वर्ष 23 में जूट के उत्पादों का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 13.11 प्रतिशत गिरकर 3,510.63 करोड़ रुपये हो गया था जबकि वित्त वर्ष 22 में 4,040.43 करोड़ रुपये का जूट निर्यात हुआ था।

First Published - July 20, 2023 | 10:57 PM IST

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