राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की ओर से घोषित तीसरे चरण के प्रोत्साहन पैकेज का जोर अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन पर है। इसके लिए निजी क्षेत्र को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहन देने के उपायों की घोषणा की गई है और सरकारी योजनाओं के लिए आवंटन की रकम को बढ़ाया गया है।
सरकार ने अक्टूबर, 2020 और जून, 2021 के बीच नौकरी देने पर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योगदान में सब्सिडी देने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) की घोषणा की है। इसके लिए कुल 36,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिसमें से 6,000 करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष में खर्च किया जाएगा।
सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बजट आवंटन को चालू वित्त वर्ष में मौजूदा 8,000 करोड़ रुपये से तीन गुना से अधिक बढ़ाकर 26,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे निर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त 78 लाख रोजगार सृजन की उम्मीद जताई गई है। यह विशेष तौर पर गांवों में गैर-कृषि क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण रोजगार प्रदाता है।
इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार योजना (पीएमजीकेआरवाई) के लिए बजट आवंटन में 10,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया है। यह योजना गांवों में लौटे प्रवासी मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने पर केंद्रित है। पीएमजीकेआरवाई में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना सहित कई सरकारी योजनाओं को शामिल किया गया है। इसे उन छह राज्यों के 116 जिलों में लागू किया जा रहा है जहां सर्वाधिक संख्या में कामगार वापस लौटे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन कदमों से निर्माण क्षेत्र में रोजगार बढ़ेंगे लेकिन औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों में उल्लखनीय वृद्घि नहीं होगी क्योंकि मौजूदा समय में आर्थिक गतिविधियों में संकुचन नजर आ रहा है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) में फेलो राधिका कपूर ने कहा, ‘निर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना एक बड़ा कदम है क्योंकि आवास की मांग का नौकरी सृजन से एक मजबूत नाता है, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां यह श्रम केंद्रित है जबकि शहरों में निर्माण ज्यादा पूंजी केंद्रित है। भले ही लंबे समय में निर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन की गुणवत्ता खराब बनी रहती है, मौजूदा महामारी के समय पर यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’
कपूर ने सरकार की पिछली ईपीएफ सब्सिडी योजना पर व्यापक शोध किया है। उन्होंने कहा कि इस समय सरकार की ओर से उसी तरह की एक और योजना की घोषणा से उन्हें औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों के बढऩे की उम्मीद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में समग्र तौर पर सुस्ती नजर आ रही है और प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) जिस तरह से औपचारिक क्षेत्र में नौकरी सृजन के लिए असरदार रही थी वैसा कोई प्रोत्साहन नौकरी देने के लिए नहीं लाई गई है। पीएफ योगदान में कर्मचारियों के वेतन बिल का केवल छोटा हिस्सा ही आ पाता है।’
हालांकि, यह ईपीएफ योजना मार्च में लाई गई योजना से कहीं बेहतर है।
