ईरान और इजरायल के बीच तनाव और बढ़ गया तो पश्चिम एशिया को भारत का निर्यात ही खतरे में नहीं पड़ेगा बल्कि अफ्रीका के साथ व्यापार पर भी असर पड़ सकता है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अफ्रीका के साथ निर्यात प्रभावित होने की आशंका इसलिए है क्योंकि संयुक्त अरब अमीरात (पश्चिम एशिया क्षेत्र से माल की आवाजाही का प्रमुख केंद्र) के रास्ते बड़ी मात्रा में माल वहां भेजा जाता है।
भारत से होने वाले कुल निर्यात का करीब 10 फीसदी हिस्सा समूचे अफ्रीकी महाद्वीप में जाता है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में इस इलाके के लिए 13.9 अरब डॉलर का माल निर्यात किया गया है। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष पर वाणिज्य विभाग की नजर बनी हुई है।
सरकार निर्यातकों के साथ बात कर यह पता करने की कोशिश कर रही है कि माल की आवाजाही में व्यवधान और पेट्रोलियम आयात पर देश की निर्भरता के कारण व्यापार पर कितना असर पड़ सकता है। पिछले महीने इजरायली हवाई हमले में लेबनान समर्थित हिज्बुल्ला नेता हसन नसरल्ला की मौत हो गई थी। अपने प्रमुख सहयोगी पर हमले के जवाब में ईरान ने इस महीने की शुरुआत में इजरायल पर मिसाइलें दागीं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगर ईरान और इजरायल में जंग छिड़ती है तो उसका असर इन दोनों देशों तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका असर समूचे पश्चिम एशिया पर पड़ेगा क्योंकि मांग बढ़ाने में इस इलाके का अहम योगदान है। पश्चिम एशिया के रास्ते ढेर सारी वस्तुओं का निर्यात भी किया जाता है। ऐसे में अगर यह क्षेत्र प्रभावित होता है तो अफ्रीका तथा एश्चिम एशिया के लिए हमारे निर्यात पर असर पड़ेगा।’
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई तक भारत से पश्चिम एशिया को 20 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया गया, जो उस दौरान किए गए कुल निर्यात का 14 फीसदी है। पश्चिम एशियाई देशों में 86 फीसदी निर्यात खाड़ी सहयोग परिषद के 6 सदस्य देशों यूएई, सऊदी अरब, ओमान, बहरीन, कुवैत और कतर को किया जाता है।
निर्यात के साथ आयात भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि भारत पेट्रोलियम आयात के लिए इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे पश्चिम एशियाई देशों पर निर्भर है। अच्छी बात यह है कि भारत अब दूसरे देशों से भी पेट्रोलियम मंगा रहा है और पूरी तरह पश्चिम एशियाई देशों पर निर्भर नहीं है।
व्यापार की राह में वैश्विक परिवहन की चुनौतियां भी आड़े आ सकती हैं। उनसे निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने के वास्ते वाणिज्य विभाग जहाजरानी मंत्रालय के साथ बैठकें कर रहा है। निर्यातकों का कहना है कि भू-राजनीतिक स्थिति खराब है और विवाद गहराने का खतरा बना हुआ है।