वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने श्रेया नंदी से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की अगुआई वाली सरकार द्वारा मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा दिए जाने से पिछले एक दशक के दौरान रोजगार सृजन के साथ बड़े पैमाने पर निवेश हुआ है। इससे भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसे कार्यक्रमों ने भारत में विनिर्माण को जबरदस्त बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार अनुपालन बोझ को और घटाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे भारत में कारोबार करना बेहद आसान होगा। मुख्य अंश:
मैं समझता हूं कि भारत को आज दुनिया में निवेश एवं विनिर्माण के लिए सबसे अच्छी जगह के रूप में देखा जाता है। हम दुनिया में जहां भी जाते हैं, वहां की कंपनियां भारत में विनिर्माण करने के लिए उत्सुक दिखती हैं। वे हमारे विशाल बाजार के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर के बाजारों के लिए भी भारत में माल बनाना चाहती हैं।
मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान की सफलता पूरी दुनिया में गूंज रही है। इस कार्यक्रम के कारण बड़ी तादाद में नौकरियां पैदा हुई हैं और देसी-विदेशी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है। इस कार्यक्रम का मकसद भारत को आत्मनिर्भर बनाते हुए वस्तुओं एवं सेवाओं का बड़ा निर्यातक बनाना है।
मेक इन इंडिया वह तमाम उपायों से भरा रहा है। कारोबारी सुगमता की दिशा में हमने काफी प्रगति की है। हमने गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के जरिये उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। इसके अलावा पीएलआई योजना के जरिये विनिर्माण को बढ़ावा देने अथवा उद्योग के लिए अनुपालन बोझ को कम करते हुए विनिर्माण की राह में बाधा डालने वाले कानूनों को फौजदारी कानूनों से अलग करने, अनुकूल कारोबारी माहौल प्रदान करने अथवा वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने जैसे कई कदम हमने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए उठाए हैं।
सब जानते हैं कि एक देश-एक कर, जीएसटी, आईबीसी, दमदार विदेशी मुद्रा भंडार, ब्याज दरों में नरमी आदि मोदी सरकार के आने के बाद ही संभव हुआ है। इन सफलताओं के कारण विनिर्माण को बढ़ावा मिला है, नौकरियां सृजित हुई हैं और अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिली है। पिछले 10 वर्षों के दौरान इसमें 90 फीसदी वृद्धि हुई है जबकि अर्थव्यवस्था में महज 35 फीसदी वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री ने कहा ही है कि आगे हम तिगुनी रफ्तार से काम करेंगे और बेहतर नतीजों के लिए तीन गुना अधिक प्रयास करेंगे। हम अनुपालन बोझ को और कम करने तथा भारत में कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम आर्थिक बुनियादी ढांचे की मजबूती को बरकरार रखेंगे। इससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आएगा।
पीएलआई को सभी क्षेत्रों में जबरदस्त सफलता मिली है। कुछ क्षेत्रों में नतीजे तेजी से देख सकते हैं क्योंकि उनमें अधिक पूंजी की जरूरत नहीं है। मगर कुछ क्षेत्रों में नतीजे दिखने में काफी समय लगता है क्योंकि उनमें काफी पूंजी निवेश की जरूरत होती है। अगर आप स्पेशलिटी स्टील पर गौर करेंगे तो जाहिर तौर पर उसमें निवेश का समय लंबा होगा।
दूसरी ओर कंज्यूमर ड्यूरेबल जैसे क्षेत्र में एयर कंडीशनर के लिए पीएलआई पर गौर करने से पता चलता है कि देसी मूल्यवर्धन 50 फीसदी तक पहुंच चुका है और जल्द ही वह 80 फीसदी तक पहुंचने वाला है। आज एयर कंडीशनर के आयात के बजाय उसका उत्पादन भारत में ही हो रहा है। मोबाइल फोन के मामले में भी लगभग यही बात है। हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन विनिर्माता हैं।
खाद्य प्रसंस्करण और फार्मास्युटिकल्स में पीएलआई योजना के लिए कम पूंजीगत व्यय करना पड़ता है, इसलिए इन क्षेत्रों में तेजी से नतीजे सामने आते हैं। अक्षय ऊर्जा संबंधी उपकणों के लिए बड़े पैमाने पर कारखाने तैयार हो रहे हैं। इसलिए व्यक्तिगत तौर पर मुझे लगता है कि पीएलआई कार्यक्रम देश में विनिर्माण को काफी बढ़ावा दे रहा है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में काफी गतिविधियां दिखेंगी और नौकरियां पैदा होंगी।
विभिन्न विभाग और डीपीआईआईटी सभी पीएलआई क्षेत्रों की कंपनियों की प्रगति पर नजर रखते हैं। कुछ महीने पहले मेरी उनके साथ बैठक हुई थी और जल्द ही अगली बैठक होने वाली है। अगली बैठक में पीएलआई क्षेत्र के सभी लाभार्थियों को अपने अनुभव साझा करने और समस्याएं सुलझाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। पिछली बैठक में लगभग सभी लोग प्रगति से काफी खुश थे।