वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में करदाताओं के लिए घोषित छोटे विवादों की समाधान योजना में मूलधन राशि के अलावा ब्याज, दंड, शुल्क और अधिभार भी वापस लिया जाएगा। हालांकि इन मांगों को छूट दिए जाने से कर मूल्यांकन पर आपराधिक प्रक्रियाएं खत्म नहीं होंगी। इसके तहत शुरू हुई प्रक्रियाएं या योजना के तहत शुरू होने वाली प्रक्रियाएं समाप्त नहीं होंगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जारी अपने आदेश में कहा कि आयकर की छोटी मांगों को छूट दिए जाने के मामले में स्रोत पर कर कटौती और संग्रहकर्ता के स्रोत से कर संग्रह में छूट व संग्रह को शामिल नहीं किया जाएगा।
मामलों को वापस लिए जाने के कारण संबद्ध आयकरदाता क्रेडिट या रिफंड लेने के योग्य नहीं हो जाते हैं। यह योजना बेंगलूरु स्थित आयकर विभाग निदेशालय (सिस्टम्स) के केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) में संभवतः आने वाले दो महीनों में लागू हो सकती है। इसके तहत 1 लाख रुपये तक के मामले की सीमा तय होगी।
एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर संदीप सहगल ने कहा कि इन मामलों को दो महीने में लागू करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाया गया है। यह दर्शाता है कि इसका उद्देश्य आयकरदाताओं की मदद करना है। देर से भुगतान करने वालों की एक लाख की सीमा तक ब्याज की दरों की गणना नहीं की जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने अंतरिम बजट 2024-25 में 2009- 10 के लिए 25,000 रुपये और 2010-11 से 2014-15 के लिए 10,000 रुपये कर की मांग वापस लेने की घोषणा की थी।
इस क्रम में पूर्व आकलन वर्ष से इस आकलन वर्ष के लिए मांग वापस लिए जाने की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया जाएगा। इसके अलावा आयकर अधिनियम के अलावा संपत्ति कर अधिनियम और उपहार कर अधिनियम के तहत छोटी-छोटी मांगें वापस ली जाएंगी।
नांगिया एंडरसन इंडिया के पार्टनर मनीष बावा की सलाह है कि करदाता समाप्त हुई मांगों की स्थिति को अपने ऑनलाइन खाते से जांच सकते हैं।