राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से पता चला है कि मार्च 2025 से शुरू होकर लगातार तीसरे महीने शहरी क्षेत्रों के मुकाबले गांवों में कीमतों में वृद्धि कम रही है। मई में ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा महंगाई जहां 2.59 प्रतिशत थी, वहीं शहरी क्षेत्रों में यह 3.07 प्रतिशत के स्तर पर रही। इससे पहले जुलाई 2023 से शुरू होकर ग्रामीण महंगाई लगातार 20 महीनों तक शहरी महंगाई से आगे रही, लेकिन यह इस साल मार्च में पहली बार शहरी महंगाई से पीछे हुई।
अर्थशास्त्री ग्रामीण महंगाई में कमी का कारण खाद्य कीमतों में गिरावट को बताते हैं, जिसका ग्रामीण सूचकांक में सबसे अधिक भार है। साथ ही वे कोर महंगाई में मामूली वृद्धि को भी इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं, जिसका शहरी सूचकांक में अधिक भार है। ग्रामीण सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भार 54 प्रतिशत है, जबकि शहरी सूचकांक में यह केवल 36 प्रतिशत है, जबकि समग्र खाद्य महंगाई अप्रैल में 1.78 प्रतिशत से गिरकर मई में 43 महीने के निचले स्तर 0.99 प्रतिशत पर आ गई, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य महंगाई 0.95 प्रतिशत रही।
खाद्य वस्तुओं में ग्रामीण सूचकांक में अनाज का भार सबसे अधिक (12.35 प्रतिशत) है, इसके बाद दूध उत्पाद (7.72 प्रतिशत), सब्जियां (7.46 प्रतिशत) और तैयार भोजन (5.46 प्रतिशत) हैं। मई में अनाज की कीमतों में 4.82 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी, जबकि सब्जियों की कीमतों में 14 प्रतिशत की गिरावट आई। इस बीच, दूध उत्पादों की कीमतों में केवल 2.82 प्रतिशत और मई में तैयार भोजन की कीमतों में केवल 3.76 प्रतिशत की तेजी देखी गई। ग्रामीण सूचकांक में 2.95 प्रतिशत भार वाली दालों की कीमतों में 8.15 प्रतिशत की गिरावट आई।
आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता का कहना है कि सभी खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट के कारण ग्रामीण महंगाई इतने लंबे समय के बाद शहरी महंगाई से नीचे आ गई है। उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा शहरी सूचकांक में अधिक भार वाली कोर महंगाई में हालिया उछाल ने शहरी क्षेत्रों में महंगाई को थोड़ा बढ़ाया है। साथ ही, ग्रामीण सूचकांक में किराये के आवास जैसे घटक मौजूद नहीं हैं, जिससे ग्रामीण महंगाई कम है।’
उपलब्ध आंकड़ों वाले 50 लाख से अधिक आबादी के 22 प्रमुख राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 9 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक महंगाई है। इनमें केरल (6.88 प्रतिशत), पंजाब (5.27 प्रतिशत), जम्मू-कश्मीर (4.82 प्रतिशत) तथा हरियाणा (3.68 प्रतिशत) शामिल हैं।