अगस्त में औद्योगिक उत्पादन न सिर्फ 11.9 प्रतिशत की तेज गति से बढ़ा है, बल्कि यह कोविड-19 के पहले के स्तर की तुलना में भी 3.9 प्रतिशत बढ़ा है। एक महीने पहले आईआईपी में 11.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से यह पता चलता है।
बहरहाल दो अंकों की वृद्धि दर को कम आधार के असर के रूप में भी देखा जा सकता है। मात्रा के हिसाब से औद्योगिक उत्पादन, जैसा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मापा जाता है, पिछले साल अगस्त में महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधान की वजह से 7.1 प्रतिशत संकुचित हुआ था।
अप्रैल-अगस्त (2021-22) के दौरान कुल वृद्धि 28.6 प्रतिशत रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में इसमें 25 प्रतिशत संकुचन आया था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जैसी कि उम्मीद थी, आईआईपी वृद्धि में मामूली सुधार हुआ है और यह जुलाई के 11.5 प्रतिशत की तुलना में अगस्त, 2021 में 11.9 प्रतिशत हो गया है। खनन और बिजली पर बारिश कम होने का सकारात्मक असर पड़ा है, यहां तक कि विनिर्माण की वृद्धि दर भी सुधरी है।’
सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत से ज्यादा होती है, जिसमें अगस्त में पिछले साल की तुलना में 9.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7.6 प्रतिशत संकुचन आया था। वहीं पिछले महीने की तुलना में इसमें 0.5 प्रतिशत की मामूली कमी आई है।
अगस्त महीने में बिजली उत्पादन में वृद्धि पिछले साल की तुलना में 16 प्रतिशत अधिक रहा है, जबकि एक साल पहले 1.8 प्रतिशत संकुचन आया था, वहीं पिछले महीने की तुलना में 2.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
सूचकांक में 14 प्रतिशत अधिभार वाले खनन क्षेत्र की वृद्धि पिछले साल की तुलना में 23.6 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले साल अगस्त में 8.7 प्रतिशत का संकुचन आया था। वहीं पिछले महीने की तुलना में 0.8 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
नायर ने कहा, ‘यह उत्साहजनक है कि अगस्त, 2021 में आईआईपी कोविड के पहले के अगस्त, 2019 की तुलना में 3.9 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें उपभोक्ता वस्तुओं को छोड़कर सभी श्रेणियों ने अहम भूमिका निभाई है। इससे महामारी से उबरकर मांग बढऩे के संकेत मिलते हैं।’
