facebookmetapixel
हर एक शेयर पर मिलेंगे 23 शेयर, स्टॉक की कीमत ₹10 से भी कम; NBFC कंपनी ने मचाया धमाल2025 में चांदी की रिकॉर्ड बढ़त के बाद कियोसाकी का दावा: 2026 में 200 डॉलर तक पहुंचने की संभावना!छिपे फॉरेक्स चार्ज से परेशान? विशेषज्ञ से समझें RBI के नए नियमों के बारे मेंGST सुधार और FDI का असर: बीमा क्षेत्र में फिर आएगी रफ्तार, FY27 में डबल डिजिट ग्रोथ की उम्मीदUpcoming IPOs: Jio, फ्लिपकार्ट, PhonePe से लेकर OYO तक; 2026 में इन बड़े नाम के आएंगे IPOMarket Outlook: नए साल से पहले बाजार की चाल तय करेंगे मैक्रो आंकड़े और वैश्विक संकेतBonus Stocks: 2025 की विदाई और 2026 की शुरुआत में निवेशकों को तोहफा, दो कंपनियां बाटेंगी बोनसStock Split: अगले हफ्ते दो कंपनियां अपने शेयरों का करेंगी बंटवारा, रिकॉर्ड-डेट पर सबकी नजरयूके एफटीए से अमेरिका टैरिफ विवाद तक: 2025 में भारत की ट्रेड पॉलिसी की तस्वीरMCap: सात बड़ी कंपनियों का मार्केट कैप डूबा, SBI सबसे बड़ा नुकसान उठाने वाली

भारत की पारदर्शी मौद्रिक नीति से बढ़ा भरोसा: BIS रिपोर्ट

BIS रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में अग्रिम दिशानिर्देश से इतर संचार का इस्तेमाल रिजर्व बैंक द्वारा उठाए जा रहे कदमों को स्पष्ट करने के लिए किया गया।

Last Updated- October 22, 2023 | 10:42 PM IST
RBI MPC Meet

महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बीच मौद्रिक नीति ढांचे के तहत उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों से भारत के नागरिकों के बीच विश्वास पैदा हुआ। बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट (बीआईएस) द्वारा गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अग्रिम दिशानिर्देश मुहैया कराने से इतर रिजर्व बैंक ने उठाए गए कदमों की वजह को पारदर्शी तरीके से समझाने के लिए संचार चैनलों का इस्तेमाल किया, जिससे महंगाई दर को नियंत्रित करने में सफलता मिली और आम जनता में विश्वास और भरोसे का संचार हुआ।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में अग्रिम दिशानिर्देश से इतर संचार का इस्तेमाल रिजर्व बैंक द्वारा उठाए जा रहे कदमों को स्पष्ट करने के लिए किया गया। साथ ही महामारी के दौरान आम नागरिकों में भरोसे और उम्मीद की किरण जगी।’

इसके अलावा विनिमय दर में हस्तक्षेप से भी उम्मीदें बढ़ाने में मदद मिली और इससे वृहद आर्थिक स्थिरता के साथ बाजार का भरोसा बरकरार रहा। विदेशी मुद्रा भंडार की पर्याप्तता में सुधार से निवेशकों का भरोसा बरकरार रखने में मदद मिली। साथ ही नीति निर्माताओं के रुख को लेकर भी विश्वास कायम हुआ।

भारत ने एक समग्र रणनीति अपनाई। व्यापक भरोसे वाले कदमों पर जोर दिया, जिसमें वाह्य वाणिज्यिक उधारी की सीमा में बढ़ोतरी और ऋण बाजारों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंधों में ढील दिया जाना शामिल है।

संपत्ति बाजार के दबाव को कम करने के लिए प्रतिभूति बाजारों में बैंकों की हिस्सेदारी को लेकर प्रतिबंध घटाए गए। रिजर्व बैंक ने एक योजना लागू कर सरकार की प्रतिभूतियों की खुले बाजार में विशेष खरीद की प्रतिबद्धता थी, इससे स्थिर और व्यवस्थित प्रतिफल सुनिश्चित हुआ।

रिपोर्ट में कर्ज लेने वालों का समर्थन करने के लिए रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें व्यक्तिगत और छोटे व्यापारियों द्वारा लिए गए ऋण को लेकर की गई पहल शामिल है।

इसमें अस्थायी ऋण स्थगन, कार्यशील पूंजी का आसानी से इंतजाम, विशेष समाधान ढांचे के माध्यम से कर्ज देने वालों के खातों के पुनर्गठन की व्यवस्था शामिल है।

इन कदमों का लक्ष्य व्यक्तिगत ऋण और छोटे कारोबारियों द्वारा लिया गया ऋण था, जिसमें किस्तों का भुगतान टालकर अस्थायी अवधि के लिए ऋणस्थगन करना, कार्यशील पूंजी तक पहुंच आसान बनाना, विशेष समाधान ढांचे के तहत कर्जदाताओं द्वारा कर्ज लेने वालों के खातों के पुनर्गठन की अनुमति देना शामिल है।’

First Published - October 22, 2023 | 10:42 PM IST

संबंधित पोस्ट