देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में ऊपर चढ़ा है। सितंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की वास्तविक जीडीपी 35.73 लाख करोड़ रुपये की है। यह सितंबर 2020 की तुलना में 8.4 फीसदी अधिक है। पिछला वर्ष महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन और उसके प्रभावों से ग्रस्त रहा था। महामारी से पूर्व के वर्ष 2019 से तुलना करने पर कोविड-19 के बाद की वृद्घि का कोई मतलब निकलता है। सितंबर 2019 की तुलना में जीडीपी में 0.3 फीसदी की वृद्घि नजर आती है। वहीं, अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने भिन्न भिन्न रुझानों का प्रदर्शन किया है।
यहां पर विश्लेषण के लिए इनमें से अमेरिका और फ्रांस को शामिल किया गया है। फ्रांस अब भी 2019 की तुलना में 0.4 फीसदी नीचे है जबकि अमेरिका ने 1.9 फीसदी की वृद्घि दर्ज की है।
हरेक देश की जीडीपी का ढांचा अलग अलग था। महामारी से पूर्व भी विभिन्न घटक वृद्घि के लिए जिम्मेदार थे।
फ्रांस की जीडीपी में कृषि का योगदान जहां 2 फीसदी है वहीं अमेरिका में यह 1 फीसदी है। वहीं, भारत की जीडीपी में कृषि का योगदान 16 फीसदी है।
सितंबर के ताजा आंकड़ों पर रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अपने एक नोट में कहा कि कृषि, वानिकी और मत्स्यपालन में सकल मूल्य वर्धन की रफ्तार उम्मीद से अधिक रही है।
नायर ने कहा कि लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं ने भी आश्चर्यजनक प्रदर्शन किए।
उन्होंने कहा कि चूंकि निजी अंतिम उपभोग खर्च अभी भी कोविड से पूर्व के स्तरों से पीछे है लिहाजा सुधार पर संदेह गहरा सकता है।
अमेरिका में यह स्थिति भारत के उलट है। 14 नवंबर को जारी की गई ‘2022 यूएस इकोनॉमिक आउटलुक’ में कहा गया है कि सेवाओं की मांग और श्रम वृद्घि से उपभोक्ता खर्च में तेजी से उछाल आ रहा है। यह रिपोर्ट वित्त सेवाओं की दिग्गज मॉर्गन स्टैनली ने जारी किया है।
मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री एलन जेंटनर और अर्थशास्त्री रॉबर्ट रोजनर, जुलियन एम रिचर्स, क्रिस्टोफर जी कोलिंस और सारा ए वोल्फ की ओर से लिखे एक नोट में कहा गया है, ‘परिवारों के पास एक स्थिर श्रम आय वृद्घि है, पाइपलाइन में और प्रोत्साहन है और मामूली बचत का सहारा है। खर्च करने की योग्यता के साथ खर्च करने की इच्छा भी साबित हुई है। हम अपने अनुमानों में उम्मीद करते हैं कि खर्च उच्च स्तर पर बना रहेगा।’
अमेरिका में सेवाओं का मूल्य वर्धन जीडीपी का 76.9 फीसदी है। फ्रांस में यह 70.2 फीसदी है वहीं भारत के लिए यह संख्या 49.4 फीसदी है।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव के एक नोट के मुताबिक भारत में निजी खपत की मांग छोटे और मध्यम क्षेत्रों में रोजगार और आय वृद्घि के साथ जोर पकड़ेगी। उनके मुताबिक यह मसला व्यापार, होटल और अन्य क्षेत्रों जैसे सेवाओं में सुधार से जुड़ा हुआ है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘यह काम 2021-22 की दूसरी छमाही में हो सकता है बशर्ते कि कोविड के नए स्वरूप ओमिक्रॉन की वजह से दोबारा से आर्थिक गतिविधियों को रोकना न पड़े।’
