रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को कहा कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तेजी से बढ़ रहा है, जो कर्ज के बोझ में कमी लाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। देश की क्रेडिट प्रोफाइल और राजकोषीय ताकत कर्ज वहन करने का प्रमुख निर्धारक होने जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (यह नॉमिनल स्थितियों में औसतन 11 फीसदी रहने का अनुमान) में तीव्र वृद्धि देश के कर्ज बोझ में गिरावट के अनुमानों का एक प्रमुख बिंदु है। भारत में सामान्य सरकारी कर्ज अपेक्षाकृत ऊंचे स्तर पर है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह जीडीपी का लगभग 81.8 प्रतिशत रहा है जबकि बीएए-रेटिंग के लिए इसका औसत लगभग 56 प्रतिशत है।
भारत में सामान्य सरकारी ऋण का तुलनात्मक रूप से उच्च स्तर है जो 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 81.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। हालांकि बा रेटिड औसत लगभग 56 प्रतिशत है। देश में कम ऋण की वहनीयता है। वैश्विक स्तर पर ऋण का बोझ गिरेगा। लेकिन सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऐसा नहीं होगा। फ्रांस, इटली और यूएसए में लंबे समय से खर्च अधिक होने के कारण ऋण बढ़ेगा।
उसने कहा कि सॉवरेन क्रेडिट इस पर निर्भर करती है कि उनमें बचत को आकर्षित करने की कितनी क्षमता है ताकि वे ऋण वहनीयता में गिरावट को रोक सकें। लिहाजा सॉवेरन क्रेडिट को इन पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी । ऐसे में उन्हें निहित बजट बाधाओं का प्रबंधन करना होगा।
भारत की बीएए3 निवेश योग्य सबसे निचली रेटिंग है। मूडीज के प्रतिनिधि रेटिंग में सुधार के मसले पर शुक्रवार को सरकार के अधिकारियों से भी मिलने वाले हैं। इस मुलाकात को रेटिंग में सुधार की पहल के तौर पर देखा जा रहा है।