अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज जारी अपनी वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए अपने पिछले अनुमान को बरकरार रहा है। आईएमएफ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2026 और 2027 में भारत की वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी जो उसकी क्षमता के अनुरूप ही है।आईएमएफ ने कहा, ‘भारत में वृद्धि दर की रफ्तार उम्मीद से अधिक धीमी हो गई थी और उसकी मुख्य वजह औद्योगिक गतिविधियों में नरमी थी।’
इससे पहले क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ग्लोबल ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 6.9 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया था। उद्योग संगठन फिक्की ने गुरुवार को अपने अनुमान में कहा कि वित्त वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 से 6.9 फीसदी रह सकती है। उसने कहा कि मुद्रास्फीति दबाव के कम होने, पूंजीगत व्यय पर लगातार जोर और उपभोक्ता खर्च में सुधार होने से आर्थिक वृद्धि को रफ्तार मिलेगी।
इस बीच राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए वृद्धि दर घटकर 6.4 फीसदी रह जाएगी जो पिछले चार साल का निचला स्तर है। यह आंकड़ा चालू वित्त वर्ष के लिए वित्त मंत्रालय के 6.5 फीसदी वृद्धि दर के अनुमान से भी कम है।
वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में कहा कि अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के लिए वृद्धि दर की स्थिति अच्छी दिख रही है। इस दौरान ग्रामीण मांग में मजबूती और तिमाही के पहले दो महीनों के दौरान शहरी मांग में सुधार दिखा है। वित्त वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही थी।
आईएमएफ ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.3 फीसदी पर स्थिर रहने के आसार हैं। मोटे तौर पर यह आंकड़ा संभावित वृद्धि के अनुरूप है। आईएमएफ ने कहा, ‘वर्ष 2025 के लिए अनुमान मोटे तौर पर अक्टूबर 2024 के विश्व आर्थिक परिदृश्य (डब्ल्यूईओ) जैसा ही है। इसकी वजह प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट की भरपाई अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी के जरिये होना है।’
कैलेंडर वर्ष 2025 में चीन के लिए वृद्धि अनुमान को 0.1 फीसदी बढ़ाकर 4.6 फीसदी कर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह संशोधन 2024 से आगे की स्थिति और नवंबर में घोषित राजकोषीय पैकेज को दर्शाता है। इससे प्रॉपर्टी बाजार और व्यापार नीति में अनिश्चितता के कारण निवेश पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण खपत, सरकारी व्यय, निवेश और सेवाओं का दमदार निर्यात ऐसे कारक हैं जो वित्त वर्ष 2025 की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्धि को गति देंगे।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ग्रामीण मांग में मजबूती के अलावा कृषि और सेवा क्षेत्र में लगातार उत्पादन से भारत को वृद्धि की राह पर आगे बढ़ने मदद मिलेगी। पहली छमाही के दौरान वृद्धि की रफ्तार को मौसम संबंधी व्यवधान ने भी प्रभावित किया था। मगर खरीफ की बोआई में सुधार होने से अच्छे संकेत मिल रहे हैं। आगामी तिमाहियों के दौरान वृद्धि पर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
आईएमएफ ने वैश्विक परिदृश्य के बारे में कहा है कि शुल्क की नई लहर जैसी संरक्षणवादी नीतियों में तीखापन आने से व्यापार पर दबाव बढ़ सकता है, निवेश कम हो सकता है, बाजार की दक्षता प्रभावित हो है, व्यापार प्रवाह खराब हो सकता है और आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं।