facebookmetapixel
PM Kisan Yojana: e-KYC अपडेट न कराने पर रुक सकती है 21वीं किस्त, जानें कैसे करें चेक और सुधारDelhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने पकड़ा जोर, अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की बाढ़CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बड़ा जाल फरीदाबाद में धराशायी, 360 किलो RDX के साथ 5 लोग गिरफ्तारHaldiram’s की नजर इस अमेरिकी सैंडविच ब्रांड पर, Subway और Tim Hortons को टक्कर देने की तैयारीसोने के 67% रिटर्न ने उड़ा दिए होश! राधिका गुप्ता बोलीं, लोग समझ नहीं रहे असली खेलIndusInd Bank ने अमिताभ कुमार सिंह को CHRO नियुक्त कियाहाई से 40% नीचे मिल रहा कंस्ट्रक्शन कंपनी का शेयर, ब्रोकरेज ने कहा- वैल्यूएशन सस्ता; 35% तक रिटर्न का मौकात्योहारी सीजन में दिखा खरीदारी का स्मार्ट तरीका! इंस्टेंट डिजिटल लोन बना लोगों की पहली पसंदQ2 में बंपर मुनाफे के बाद 7% उछला ये शेयर, ब्रोकरेज बोले – BUY; ₹298 तक जाएगा भाव

सबसे ज्यादा यूएई जाते हैं भारतीय कामगार

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 50 साल से ज्यादा समय से विश्व की आबादी में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या बढ़ी है।

Last Updated- May 10, 2024 | 9:28 AM IST
UAE visa Ban
Representative Image

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) की ताजा वर्ल्ड माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक भारत के प्रवासियों के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। आईओएम द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2020 में 34.7 लाख भारतीय संयुक्त अरब अमीरात में रह रहे थे। दूसरे स्थान पर अमेरिका में 27 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख लोग रह रहे थे।

वैश्विक स्थिति देखें तो मैक्सिको के करीब 1.1 करोड़ लोग अमेरिका में रह रहे हैं। इसके बाद सीरियाई अरब गणराज्य से लेकर तुर्की और रूस से लेकर यूक्रेन गलियारे का स्थान है, जो बड़े पैमाने पर नागरिक अशांति और जंग की वजह से लोगों के विस्थापन के लिए जिम्मेदार हैं।

हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं दिखाया गया है कि किस देश के लोग भारत में सबसे ज्यादा धन भेजते हैं। विश्व प्रवासन रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई, जो आईओएम द्वारा साल 2000 से हर दो साल पर जारी होती है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 50 साल से ज्यादा समय से विश्व की आबादी में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या बढ़ी है। 1970 में कुल आबादी में प्रवासियों की हिस्सेदारी 2.3 फीसदी (8.4 करोड़) ही थी, जो 2020 के मध्य में बढ़कर 3.6 फीसदी (28 करोड़) हो गई है।

यह भी पढ़ें: वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटा उम्मीद से बेहतर

इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 2022 में रेमिटेंस (प्रवासियों द्वारा भेजे गए धन) से 111 अरब डॉलर से अधिक मिले हैं, जो विश्व में सर्वाधिक है। भारत पहला देश है, जिसे रेमिटेंस से एक साल में 100 अरब डॉलर से अधिक मिले हैं। भारत के बाद धन पाने वाले देशों में मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और फ्रांस का स्थान है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अन्य देशों को मिलने वाले धन की स्थिति देखें तो भारत उनसे बहुत ऊपर है। भारत को 111 अरब डॉलर मिले हैं और वह 100 अरब डॉलर के आंकड़े पार करने वाला पहला देश बन गया है।  साल 2022 में रेमिटेंस के मामले में मैक्सिको दूसरे स्थान पर रहा है और वह 2021 में चीन से आगे बढ़ने के बाद इस स्थान पर बना हुआ है, जो ऐतिहासिक रूप से भारत के बाद दूसरा बड़ा प्राप्तकर्ता देश रहा है।’इसमें कहा गया है कि दक्षिण एशिया से सबसे ज्यादा प्रवासी दूसरे देशों में गए हैं, जिसके कारण यहां पर धन प्रेषण सबसे ज्यादा होता है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश प्रवासियों से धन पाने वाले देशों में शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।

इन इलाकों से सबसे ज्यादा श्रमिकों का विस्थापन हुआ है।  इस इलाके में विदेश से भेजा जाने वाला धन तमाम लोगों के लिए जीने का साधन बना हुआ है, वहीं श्रमिकों को तमाम तरह के जोखिमों से जूझना पड़ता है, जिनमें वित्तीय शोषण, आव्रजन लागत के कारण ऋणग्रस्तता, भेदभाव व कार्यस्थल पर उत्पीड़न शामिल है।

First Published - May 10, 2024 | 9:28 AM IST

संबंधित पोस्ट