वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि साल 2027-28 तक भारत विश्व की न केवल तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा बल्कि इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5 लाख करोड़ डॉलर के पार हो जाएगा।
गांधीनगर में आयोजित वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में सीतारमण ने कहा कि साल 2047 तक भारत 30 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। यह इसलिए संभव होगा क्योंकि भारतीय लोगों ने वैश्विक महामारी कोविड के बाद की चुनौतियों का सामना करते हुए मजबूती से सुधार किया है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें औपनिवेशिक मानसिकता को दूर करना होगा। हमें जल्द से जल्द इससे छुटकारा पाना होगा। जनता, सरकारें, हितधारक और केंद्र सरकार सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि इसे हासिल किया जा सके।’
सीतारमण ने कहा कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से केंद्र और राज्यों के बीच का रिश्ता सहयोगात्मक और प्रतिस्पर्धी रहा है। इससे पहले केंद्र और राज्यों का रिश्ता महज लेने-देने का था।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं इसे केंद्र और राज्यों के बीच की साझेदारी कहूंगी। इसलिए यह साझेदारी वाला नजरिया है कि कैसे अब से साल 2047 तक भारत उस लक्ष्य को हासिल करेगा। ‘
वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन के दौरान केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अप्रैल 2000 से मार्च 2023 के दौरान 23 वर्षों में भारत ने 919 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है जिसका 65 फीसदी यानी 595 अरब डॉलर पिछले आठ से नौ वर्षों में ही आया है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘एफडीआई आ रहा है। जहां नीतियों से अधिक निश्चितता, सहूलियत, कारोबारी सुगमता आती है, वहां एफडीआई प्रवाह होता है।’
वित्त मंत्री ने वित्तीय समावेशन, स्वच्छ भारत, खुले में शौच मुक्ति और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) आदि को मोदी सरकार का महत्त्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि 33 लाख करोड़ डीबीटी के माध्यम से लाभान्वितों को दिए गए। इससे सरकार को करीब 2.73 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई।