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India-US Energy: भारत-अमेरिका की ऊर्जा साझेदारी मजबूत, एलएनजी और परमाणु सहयोग पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को ऊर्जा व्यापार बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई

Last Updated- February 14, 2025 | 10:23 PM IST
India and US

प्राकृतिक गैस और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिका के साथ साझेदारी के ऐलान से ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा परिवर्तन महत्त्वाकांक्षाओं को मजबूत करने के भारत के प्रयासों को ताकत मिली है। संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को ऊर्जा व्यापार बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।

निरंतर आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं की प्राथमिकता एवं जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह भी तय हुआ कि अमेरिका, भारत को कच्चे तेल, पेट्रोलियम उत्पादों एवं तरलीकृत प्राकृतिक गैस का प्रमुख आपूर्तिकर्ता होगा। शुक्रवार सुबह जारी बयान में कहा गया है, ‘दोनों देशों ने विविधतापूर्ण और ऊर्जा सुरक्षा आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत प्राकृतिक गैस, ईथेन और प्रेट्रोलियम उत्पादों समेत हाईड्रोकार्बन क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने की पर्याप्त संभावनाओं एवं अवसरों को रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने विशेष रूप से तेल एवं गैस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने एवं दोनों देशों की ऊर्जा कंपनियों के बीच व्यापक सहयोग का रास्ता खोलने की प्रतिबद्धता भी जताई।’

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को कहा कि संयुक्त बयान से वही संकेत मिलता है जैसा कि दोनों देशों के बीच पहले से होता आ रहा है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका और भारत के बीच पहले से ही ऊर्जा सहयोग मजबूत स्थिति में है। अनेक देश हमें गैस बेचना चाहते हैं। हम भी और अधिक गैस के बाजार तलाश रहे हैं। पहले से ही खास कर गैस क्षेत्र में हमारे संबंध अमेरिका के साथ काफी मजबूत हैं। मुझे लगता है कि यह मात्रा और बढ़ेगी।’

पुरी ने ट्रंप की ऊर्जा नीति की तारीफ करते हुए इसे भारत के हितों के अनुरूप करार दिया। केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक बाजार में और अधिक ऊर्जा आपूर्ति की खुलकर वकालत की है। उन्होंने इस बारे में न केवल अमेरिकी योगदान के नजरिए से बात की बल्कि वह अन्य से भी ऐसा ही करने को कह रहे हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल और अन्य ऊर्जा संसाधनों की कोई कमी नहीं है।’

समझा जाता है कि अमेरिका शीघ्र ही एलएनजी निर्यात बढ़ाने की दिशा में बढ़ रहा है। ऐसे संकेत ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही उस कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने से मिलते हैं जिसमें अमेरिकी सरकार ने नई एलएनजी परियोजनाओं के लिए निर्यात परमिट आवेदनों को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी है। एक साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने उन देशों को एलएनजी निर्यात से संबंधित लंबित आवेदनों को अस्थायी रूप से रोक दिया था, जिनके साथ अमेरिका का मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। भारत का अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं है।

भारतीय अधिकारी कहते हैं कि अमेरिका इन निर्यात आवेदनों को मंजूरी देने के लिए जितनी सक्रियता दिखा रहा है, उससे जल्द ही दोनों देशों के बीच एलएनजी की आपूर्ति बढ़ने की संभावना है। विश्व में अमेरिका सबसे बड़ा एलएनजी निर्यात करने वाला देश है और इस दशक के अंत तक इसके बढ़कर दोगुना होने की उम्मीद है।

यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (आईईए) के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका से भारत के लिए एलएनजी की आपूर्ति 2020 से तेजी से बढ़ने लगी थी। वर्ष 2021 के मई में इसकी आपूर्ति 28,259 मिलियन क्यूबिक फुट तक पहुंच गई थी, जो अक्टूबर 2023 में घटकर 13,698 मिलियन क्यूबिक फुट पर आ गई। इसके बाद से आईईए ने मासिक आंकड़े प्रकाशित करने बंद कर दिए।

दोनों देशों ने इसका ब्योरा नहीं दिया कि अमेरिका से भारत को एलएनजी की कब से और कितनी आपूर्ति बढ़ेगी। लेकिन इंडिया एनर्जी वीक के दौरान मौजूद सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि अभी दीर्घावधि समझौतों पर बातचीत होनी बाकी है। अन्य अधिकारियों ने कहा कि गैस की कीमतें इन समझौतों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। वर्ष 2024 में वार्षिक औसत प्राकृतिक गैस कीमतें 2023 के औसत से 16 फीसदी और 2022 के मुकाबले रिकॉर्ड 68 फीसदी कम थीं। लेकिन इस साल कुछ समय के लिए साप्ताहिक हाजिर मूल्य 10 अमेरिकी डॉलर बढ़ा था और इस समय 3.94 एमएमबीटीयू है।

दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत 123 नागरिक परमाणु समझौते पर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता भी दर्शायी ताकि भारत में व्यापक स्थानीयकरण और संभावित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से अमेरिका द्वारा डिजाइन किए गए परमाणु रिएक्टर बनाने के लिए मिलकर काम किया जा सके।

दोनों पक्षों ने संसद में बजट सत्र के दौरान परमाणु रिएक्टरों के सदंर्भ में परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (सीएलएनडीए) में संशोधन करने की भारत सरकार की हालिया घोषणा का स्वागत किया। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने सीएलएनडीए के अनुसार द्विपक्षीय व्यवस्था स्थापित करने का निर्णय लिया है, जो नागरिक दायित्व के मुद्दे को संबोधित करेगा और परमाणु रिएक्टरों के उत्पादन और स्थापना में भारतीय एवं अमेरिकी उद्योग के सहयोग को सुविधाजनक बनाएगा।

वर्ष 1962 का परमाणु ऊर्जा अधिनियम, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रतिबंधित करता है। प्रस्तावित संशोधन से इस प्रावधान को हटाने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करते हुए भारत के परमाणु दायित्व कानून के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन की योजना की घोषणा की। भारत के परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010 के कुछ खंड असैन्य परमाणु समझौते के कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ने में बाधक बनकर उभरे हैं।

First Published - February 14, 2025 | 10:23 PM IST

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