डंपिंग रोकने और अपने किसानों की रक्षा के लिए भारत द्वारा हाल ही में बांग्लादेश से जूट का आयात बंद करने का फैसला एक बार फिर सुर्खियों में है। बीते वित्त वर्ष 2025 में भारत ने करीब 26.6 करोड़ डॉलर के जूट का आयात किया था और इनमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी बांग्लादेश (77 फीसदी) की थी। उसके बाद नेपाल (20 फीसदी) और चीन (0.2 फीसदी) का स्थान था।
भारत के इस फैसले से बांग्लादेश के समक्ष चुनौती खड़ी हो गई है, जिसने वित्त वर्ष 2024 में दुनिया भर में करीब 79.3 करोड़ डॉलर के जूट का निर्यात किया था और इसमें करीब एक चौथाई निर्यात भारत को किया गया था। इस असर को कम करने के लिए बांग्लादेश को अब नए व्यापार भागीदारों का रुख करना पड़ सकता है। इस बीच, भारत का जूट निर्यात उसके आयात से अधिक हो गया है और वित्त वर्ष 2024 में भारत के प्रमुख खरीदारों में अमेरिका (23 फीसदी), फ्रांस (9 फीसदी) और नीदरलैंड (6 फीसदी) शामिल हैं।
इसके अलावा भारत मुख्य रूप से बांग्लादेश, नेपाल और चीन से ही कुल मिलाकर जूट का आयात करता है। भारत के कुल जूट आयात में बांग्लादेश से आने वाले जूट की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019 के 68 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 81 फीसदी हो गई थी। हालांकि, इस बीच कुछ उतार-चढ़ाव भी देखे गए और वित्त वर्ष 2025 में यह कम होकर 77 फीसदी रह गया।
जूट की विभिन्न श्रेणियों में बांग्लादेश से आयात होने में सर्वाधिक 38 फीसदी हिस्सेदारी कच्चे अथवा सड़े हुए जूट की थी। इसके बाद अन्य जूट विनिर्माताओं की हिस्सेदारी करीब 32 फीसदी और जूट धागे की 27 फीसदी थी।
भारत जितना जूट आयात करता है उससे कहीं अधिक दूसरे देशों में निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2019 में भारत ने करीब 24.7 करोड़ डॉलर के जूट बाहर भेजे थे, जो वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 29.9 करोड़ डॉलर हो गया। इसके विपरीत, जूट का आयात वित्त वर्ष 2019 में 17 करोड़ डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2024 में 30.1 करोड़ डॉलर हो गया और वित्त वर्ष 2025 में घटकर 26.6 करोड़ डॉलर रह गया।