वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) को सुचारु करने के लिए साझेदारों के साथ नियमित परामर्श कर रही है। इससे देश में तेजी से निवेश आएगा। ऐसी ही एक बैठक संबंधित साझेदारों के साथ मंगलवार को हुई। इस बैठक का नेतृत्व इंवेस्ट इंडिया कर रहा है।
गोयल ने इंगित किया कि सरकार कारोबारी सुगमता, विनिमय में ढील, कानूनों को अपराधमुक्त और अनुपालन के बोझ को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कारोबार में आसानी, विनियमन में ढील, कानूनों को अपराधमुक्त करने तथा अनुपालन बोझ में कमी के माध्यम से निवेश अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। निवेश से नौकरियों पैदा होंगी, नई तकनीक आएगी और शोध व विकास वर नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इससे रक्षा विनिर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा, घरेलू मुद्रा में अधिक स्थिरता आएगी। इससे महंगाई को और कम करने में मदद मिलेगी। गोयल ने कहा, ‘हमें नीतिगत निश्चितता, स्थिर मुद्रा और पूरे निवेश परिवेश को लेकर निवेशकों में विश्वास नजर आना चाहिए।’ इस कार्यक्रम का आयोजन फिक्की ने किया था।
गोयन ने एक अन्य कार्यक्रम में कहा कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर तभी अच्छी खबर सुनाई देगी जब यह समझौता उचित, न्यायसंगत और संतुलित होगा। मंत्री ने इंडो-अमेरिका चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईएसीसी) के कार्यक्रम में कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में कोई रुकावट या ठहराव नहीं आया है और यह साझेदारी स्थायी व विकसित हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘मुझे बहुत चिंतित होने की कोई वजह नहीं दिखती। मुझे नहीं लगता कि इस रिश्ते में कोई ठहराव आया है। यह दोनों देशों अमेरिका और भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण व रणनीतिक बना हुआ है।”
उन्होंने कहा, ‘भारत-अमेरिका संबंधों जितनी व्यापक साझेदारी में कई तत्त्व होते हैं और ज़रूरी नहीं कि हर तत्त्व एक ही गति से चले। बातचीत प्रक्रिया है और भारत को एक राष्ट्र के रूप में अपने हितों, अपने हितधारकों, व्यवसायों के हितों की रक्षा करनी होगी। इसे भारत को अपनी संवेदनशीलताओं, किसानों, मछुआरों और लघु उद्योगों के साथ संतुलित करना होगा। जब हम सही संतुलन बना लेंगे, तो आप निश्चिंत रह सकते हैं कि हमें परिणाम मिलेंगे।’
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि भारत और अमेरिका में व्यापार सौदे का पहला चरण लगभग ‘पूरा होने के करीब’ है। इसमें भारतीय उत्पादों पर लगाए गए अमेरिकी शुल्कों का समाधान भी शामिल है। अधिकारी ने कहा, ‘समझौते का वह हिस्सा जिस पर अभी ध्यान देने की ज़रूरत है, वह है पारस्परिक शुल्क। इस पर जल्द ही ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। फिलहाल कोई समयसीमा नहीं है। दोनों देश संपर्क में बने हुए हैं।’