प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ऊर्जा पर आयोजित गोलमेज वार्ता में ग्रीन हाइड्रोजन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और फाइनैंसिंग जैसे बदलाव वाले कदमों सहित कई मसलो पर चर्चा हुई है। सूत्रों ने कहा कि इंडिया एनर्जी वीक-2023 के दौरान अलग से हुई इस बैठक में इन तमाम मसलों पर बातचीत हुई है।
इस बैठक में 20 लोग शामिल हुए, जिसमें चुनिंदा घरेलू व विदेशी तेल व गैस कंपनियों के सीईओ, वैश्विक विशेषज्ञ और बहुपक्षीय एजेंसियों के प्रमुख थे। महामारी के बाद पहली बार सालाना गोलमेज बैठक का आयोजन किया गया है। इसमें हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री को अपनी प्रेजेंटेशन दिया, जिस पर उन्होंने टिप्पणियां की हैं।
सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में मुख्य रूप से बदलाव वाले कदमों जैसे ग्रीन हाइड्रोजन, इस दिशा में बढ़ने के लिए आवश्यक पूंजी और तकनीक की जरूरतों और इनके वित्तपोषण के तरीकों पर खासतौर पर चर्चा हुई।
बैठक में मौजूद उद्योग के एक सूत्र ने कहा, ‘एक नाजुक संतुलन का काम चल रहा है। सरकार को अन्वेषण व रिफाइनिंग के क्षेत्र में पूरी क्षमता के दोहन के लिए और अधिक निवेश लाने की जरूरत है।’
ग्रीन हाइड्रोजन जैसे रूढ़िवादी कदम अहम हो गए हैं क्योंकि ये बेहतर स्थिति में हैं। इसमें भाग लेने वालों ने नीतिगत स्थिरता पर जोर दिया। ज्यादातर लोगों ने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान कारोबार सुगमता में सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत है। उन्होंने कंपनियों से कहा कि वे परंपरागत हाइड्रोकार्बन और नई उभरती तकनीक दोनों में ही निवेश करें।
उन्होंने कहा कि भारत में ऊर्जा की मांग अन्य देशों की तुलना में तीन गुना दर से बढ़ रही है, ऐसे में भारत में कंपनियों द्वारा निवेश पर बेहतर मुनाफा आएगा।
विदेशी साझेदारी पर ध्यान
बैठक में मौजूद भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) के प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया कि वे विदेशी साझेदारी पर सक्रियता से विचार कर रहे हैं।
तेल व गैस रणनीतिक क्षेत्र रहा है और लंबे समय तक इससे जुड़े चुनिंदा उद्योगों में विदेशी इकाइयों का प्रवेश वर्जित था। बहरहाल सरकार ने हाल ही में OMC से कहा था कि वे तकनीक और बाजार की विशेषज्ञता का इस्तेमाल करें।
एक ओएमसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यह कदम भारत को हाइड्रोकार्बन उद्योग के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना का हिस्सा है। हम विश्व में कच्चे तेल के दूसरे सबसे बड़े आयातक बने हुए हैं, वहीं अब हम अब अपनी रिफाइनिंग क्षमता बढ़ाने व उद्योग से जुड़ी सेवाएं देने पर काम कर रहे हैं।’
सूत्रों ने कहा कि अमेरिकन तेल एवं गैस दिग्गज Exxon Mobil और Chevron और फ्रांस की दिग्गज कंपनी TotalEnergies ने अन्वेषण के क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाई है।
भारत इस समय अन्वेषण का क्षेत्रफल दोगुना करने पर काम कर रहा है।