facebookmetapixel
ट्रंप का बड़ा ऐलान: विदेशों में बनी फिल्मों पर 100% टैरिफ, फर्नीचर इंडस्ट्री का भी जिक्रZoho का IPO अभी नहीं आएगा; फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने बताई वजहMoody’s ने भारत की रेटिंग बरकरार रखी, आउटलुक स्टेबल रखा; अर्थव्यवस्था के लिए क्या हैं इसके मायने?स्टॉक्स और MF से आगे: Reits, AIFs, क्रिप्टो, कलेक्टिबल्स में निवेश के नए मौकेNFO: मोतीलाल ओसवाल एमएफ ने उतारा कंजम्पशन फंड, ₹500 से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसाबिजली वितरण कंपनियों का FY26 घाटा एक-तिहाई घटकर ₹8,000-10,000 करोड़ पर आने का अनुमानअमेरिका के H-1B शुल्क बढ़ोतरी के बीच कनाडा का टेक टैलेंट आकर्षित करने का नया दांवअगस्त में भारत का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 4% बढ़ा, माइनिंग और पावर सेक्टर ने दिखाई रफ्तारतीन महीने में 65% चढ़ गया Smallcap स्टॉक, ब्रोकरेज ने कहा- अभी सिर्फ शुरुआत, ₹190 तक जाएगा भावप्रॉपर्टी खरीद रहे हैं? ऐसे कर सकते हैं अतिरिक्त बचत

भारत ने WTO में गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का किया बचाव, अमेरिका, कनाडा सहित इन देशों ने जताई थी चिंता

भारत सरकार का मानना है कि मानव, पशु एवं पौधों की सेहत की सुरक्षा तथा भ्रामक प्रथाओं की रोकथाम के लिए उत्पादों की गुणवत्ता के उपाय सुनि​श्चित करना जरूरी है।

Last Updated- December 10, 2023 | 11:01 PM IST
MC13: 164 WTO countries will meet in Abu Dhabi, talks will be held on solutions to major issues related to global trade MC13: WTO के 164 देश करेंगे अबूधाबी में बैठक, वैश्विक कारोबार से जुड़े प्रमुख मसलों के समाधान पर होगी बातचीत

भारत ने ​ खिलौने, केमिकल्स, ICT (सूचना एवं संचार तकनीक) उत्पादों और वाहनों के कलपुर्जों सहित वि​भिन्न क्षेत्रों में लागू किए गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (quality control orders) का विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बचाव किया है। सरकार का मानना है कि मानव, पशु एवं पौधों की सेहत की सुरक्षा तथा भ्रामक प्रथाओं की रोकथाम के लिए उत्पादों की गुणवत्ता के उपाय सुनि​श्चित करना जरूरी है।

अमेरिका, कनाडा, ताइवान, पेंघू, किनमेन और मात्सु ने बीते कई वर्षों में भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों पर पिछले साल चिंता जताई थी। उन्होंने दावा किया कि भारत के बयान अक्सर सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के अनुकूल नहीं होते हैं और इससे वि​शिष्ट व्यापार चिंता की सूची लगातार बढ़ती जा रही है।

WTO के सदस्यों ने व्यापार में तकनीकी बाधाओं पर गठित समिति को दिए बयान में कहा है, ‘हमने देखा है कि 2019 से 19 सदस्यों ने भारत के समक्ष 35 व्यापार वि​शिष्ट चिंताओं (STC) को उठाया है। इनमें से एक-तिहाई से ज्यादा चिंताएं गुणवत्ता नियंत्रण आदेश से संबं​धित थीं और दो-तिहाई से ज्यादा चिंताओं को सदस्यों ने एक से ज्यादा बार उठाया है। इन 35 चिंताओं में से आधे से ज्यादा मामलों को कम से कम तीन बार उठाया गया है। मई 2020 के बाद से व्यापार से संबं​धित चिंताओं के मामले बढ़े हैं जो हरेक बैठकों में उठाए गए कुल मामलों का करीब 13 फीसदी है।’

पिछले महीने समिति में प्रश्नों का व्यापक रूप से जवाब देते हुए भारत ने कहा कि उसने उठाए गए सभी एसटीसी के साथ ही तकनीकी बयानों में उ​ल्लि​खित मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर सकारात्मक तरीके से काम किया है और डब्ल्यूटीओ समितियों के साथ ही द्विपक्षीय स्तर पर इस पर बातचीत जारी रखने का उसका इरादा है।

बयान में कहा गया, ‘व्यापार में तकनीकी बाधाओं के समझौते के अनुरूप भारत उत्पादों की गुणवत्ता, मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, उपभोक्ताओं की सुरक्षा और भ्रामक प्रथाओं पर रोकथाम सुनि​श्चित करने के लिए कदम उठाते हुए अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश इसी दिशा में हैं।’

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रति​ष्ठित प्रयोगशालाओं की मान्यता पर सदस्य देशों ने भारत से भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से ऐसी मान्यता लेने के लिए प्रयोगशालाओं द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में अ​धिक स्पष्टता और पारद​र्शिता की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में जिन निर्यातकों के उत्पादों को पहले ही मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय प्रयोगशालाओं द्वारा प्रमा​णित किया जा चुका है, उनकी ​शिकायत है कि इन प्रयोगशालाओं के नतीजे अनिवार्य पंजीकरण आदेश और दूरसंचार उपकरण के अनिवार्य परीक्षण एवं प्रमाणन (MTCTE) योजना के अनुपालन में स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। इसके कारण निर्यातकों को दोबारा परीक्षण कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है। हम भारत से आईएलएसी सदस्यता का लाभ उठाने और भारतीय नियमों के अनुपालन के प्रमाण के रूप में आईएलएसी मान्यता प्राप्त विदेशी प्रयोगशालाओं के परीक्षण परिणाम को स्वीकार करने का आग्रह करते हैं।’

भारत ने इस पर जवाब में कहा कि उसने आईएलएसी द्वारा मान्यता का उपयोग MTCTE योजना के तहत अनुरूपता मूल्यांकन प्रक्रिया के रूप में किया है। इसके साथ ही भारत ने सदस्य देशों से पूछा है कि क्या सभी आईएलएसी मान्यता प्राप्त विदेशी प्रयोगशालाएं संबं​​धित देशों में स्वचालित रूप से मान्यता प्राप्त हैं और क्या इनकी मान्यता कुछ क्षेत्रों या उत्पादों तक ही सीमित है।

BIS द्वारा अनिवार्य विदेशी परीक्षण के मुद्दे पर देशों ने कहा कि भारत के बाहर ​स्थित उनकी कंपनियां अक्सर वर्चुअल ऑडिट या अन्य अनुपालन विकल्पों की कमी के कारण मौजूदा गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों का पालन करने में असमर्थ रही हैं।

सदस्य देशों का कहना है कि ​खिलौनों की बात करें अमेरिका और कनाडा की कंपनियों से इसका निर्यात पूरी तरह रुक गया है और व्यापार प्रभावित हुआ है। विनिर्माण सुविधाओं पर ऑन-साइट नमूनों के अलावा ​खिलौनों के प्रत्येक ​शिपमेंट का परीक्षण करना होता है और उन नमूनों को परीक्षण के लिए भारत भेजा जाता है। इससे न केवल लागत में इजाफा हो रहा है ब​ल्कि आयात प्रक्रिया में भी देरी होती है।

भारत ने इसका पलटवार करते हुए कहा कि इन देशों से ​खिलौनों को लेकर कोई आवेदन नहीं मिला है। हालांकि कनाडा, ताइवान, पेंघू, किनमेन और मित्सु तथा अमेरिका से रसायनों एवं वाहनों के कलपुर्जों के लिए आवेदन मिले हैं और कुछ मामलों के लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। कुछ मामलों में वि​भिन्न कारणों से प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

 

First Published - December 10, 2023 | 7:58 PM IST

संबंधित पोस्ट