भारत और जर्मनी श्रम की गतिशीलता और कौशल की मान्यता के लिए अगले सप्ताह समझौता करेंगे। इस मामले के जानकार सूत्रों के मुताबिक इस समझौते से भारत के विशेषज्ञों को आसानी से जर्मनी के उद्योग में नौकरी मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा।
यह जी-20 का ‘कौशल आधारित प्रवासन मार्ग’ प्रारूप के लिए पहला समझौता होगा। नई दिल्ली में बीते साल सदस्य देशों ने इस प्रारूप पर सहमति जताई थी। इस प्रारूप के अंतर्गत विश्व की 20 अर्थव्यवस्थाओं ने समन्वित कौशल आधारित प्रवासन मार्ग की पहचान की है। इससे वैश्विक स्तर पर कुशल विशेषज्ञों के लिए अवसरों का विस्तार होगा। इससे श्रम बल के औपचारीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा और इससे उद्गम व गंतव्य वाले दोनों देश लाभान्वित होंगे।
सूत्र के मुताबिक, ‘भारत को जनसांख्यिकीय विभाजन और भविष्य के लिए तैयार कुशल श्रमबल का लाभ मिलता है। यूरोप के देशों में विशेष तौर पर जर्मनी कार्यशील उम्र की गिरती जनसंख्या से जूझ रही है और जर्मनी में नई व उभरती तकनीकों में अपेक्षाकृत रूप से अकुशल श्रम बल है। इस समझौते से दोनों देशों के बीच श्रम गतिशीलता को फायदा मिलेगा और दोनों देश एक-दूसरे के कौशल को मान्यता व प्रमाणित कर पाएंगे।
इससे भारत का श्रम बल गैर पांरपरिक क्षेत्रों जैसे अध्यापन, नर्सिंग और विनिर्माण के क्षेत्र में रोजगार की ओर रुख कर सकता है।’यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की अगले सप्ताह भारत यात्रा है। भारत और कनाडा के बीच विवाद के कारण संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए हैं और अमेरिका में गैर प्रवासी विरोधी बयानबाजी में वृद्धि देखी जा रही है। लिहाजा यह समझौता होने से भारत के कुशल विशेषज्ञों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, ‘इस समझौते से 2024 के अंत तक इच्छुक व योग्य श्रमिकों के लिए नए डिजिटल वीजा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस क्रम में जर्मनी भारत के शिक्षण संस्थानों में रोजगार मेला आयोजित करेगा। श्रमिकों के बीच भाषा संबंधी बाधाएं दूर करने के लिए पाठ्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ऐसे में व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर भी सहयोग होगा।’
इससे पहले जून में दोनों देशों के श्रम मंत्रालयों के अधिकारियों ने दिल्ली में मुलाकात की थी। इसमें अधिकारियों ने स्वास्थ्य व व्यावसायिक सुरक्षा, कामकाजी दुनिया में बदलाव, वैश्विक क्षमता केंद्रों और भविष्य के कार्य को लेकर विचार-विमर्श हुआ। सूत्रों के मुताबिक, ‘अनुमानों के मुताबिक हाल के वर्षों में जर्मनी में कार्य कर रहे भारतीय कुशल श्रमबल में सकारात्मक बदलाव आया है। जर्मनी के उद्योग में कुशल श्रम की स्थितियों पर करीब 1,37,000 भारतीय कौशल वाले व्यवसायों कर रहे हैं। यह संख्या आने वाले सालों में बढ़ने की उम्मीद है।’