वे वैयक्तिक करदाता जो सिक्किम से बाहर निवास करते हैं लेकिन राज्य के नागरिकों को प्राप्त छूट नहीं लेते हैं, आयकर विभाग 2002-03 से उनकी परिसंपत्तियों की जांच कर सकता है। कंपनियों को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है यदि उन्होंने करों का भुगतान नही किया है।
आयकर विभाग के अधिकारियो का कहना है कि यह कदम इसलिये उठाया जा सकता है कि वित्तीय बिल 2008 यह प्रावधान करता है कि सिक्किमियों को आयकर से छूट होगी। लेकिन यह उन्ही परिसंपत्तियो पर होगा जोकि राज्य के भीतर स्थित है या उनका लाभांश देश के किसी और भाग से आता है।
इस अपवाद का प्रभाव 1990-91 से होगा। इसका फायदा केवल उन्ही व्यक्तियों को मिलेगा जिनका जिनका सिक्किम सब्जेक्ट रूल,1961 के तहत पंजीकरण हो।
यद्यपि कि वित्तीय बिल गैर-सिक्किमियों और कंपनियों के विषय में शांत है लेकिन अधिकारियों का मानना है कि आयकर विभाग सिर्फ छह सालों तक परिसंपत्तियों का खुलासा कर सकता है जो आयकर प्रावधानों के अधीन जायज है। पिछले समय में सिर्फ 25 से 30 कंपनियों ने ही करों का भुगतान किया है।
इसके अतिरिक्त वित्तीय बिल में उन व्यक्तिगत करदाताओं को छूट प्रदान नही की है जिन्होंने कि सिक्किमी महिलाओं के साथ विवाह किया है। लेकिन इसका पीछे से प्रभाव नही होगा और यह प्रावधान 31 मार्च, 2008 से लागू होगा। 2001 की जनगणना के अनुसार सिक्किम की आबादी 550,000 है।
उत्तरी-पूृर्वी राज्यों में ऐसी कोई बाधाएं नहीं हैं। यह प्रावधान इसलिये किया गया है ताकि उन घटनाओं पर रोक लगाई जा सके जो सिक्किम में आकर वहां की महिलाओं से शादी कर लेते है।
हालिया वित्तीय बिल की पृष्ठभूमि 1989 से जुड़ी हुई है जिसमें सिक्किम को ऐसे प्रावधानों के अधीन लाया गया था। इस आधार पर कई उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी इस प्रकार के छूट की मांग की जाने लगी।
आयकर विभाग जिसका अभी सिक्किम में कार्यालय नहीं है जल्द ही गंगटोक में अपना कार्यालय खोल सकती है।
केंद्रीय सरकार, सार्वजनिक बैंकों और उच्च न्यायालय में कार्य करने वाले कर्मचारी जो सिलीगुड़ी में अपना आयकर रिटर्न जमा करते है। अपनी आयकर के रुप में दी गयी पूंजी को रिफंड कर सकते है।
इस विषय में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड एक लंबा प्रारुप पत्र लाने पर विचार कर रहा है।