आयकर विभाग ने कंपनियों के अग्रिम कर भुगतान पर करीबी नजर रखने का फैसला किया है। इस कदम को उठाने का ध्येय यह है कि कंपनियां वित्त वर्ष में लंबित देनदारियों को स्थगित नहीं करें। विभाग भारत में कंपनियों की सालाना और तिमाही बैलेंस शीट के साथ-साथ क्षेत्रवार वृद्धि के रुझानों का विश्लेषण भी करेगा।
आयकर विभाग 2023-24 की केंद्रीय कार्ययोजना के तहत शीर्ष 100 लिस्टेड कंपनियों की पिछली प्रकाशित सालाना, साल भर की तिमाहियों के रिपोर्ट का विश्लेषण किया जाएगा।
इस अध्ययन के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारीगण अग्रिम कर संग्रह की निगरानी करेंगे। अधिकारियों को कहा गया है कि यदि वित्तीय खातों के नोट्स और टिप्पणियां हो, तो उन पर नजर रखें। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग कुछ क्षेत्रों जैसे रियल एस्टेट, दवा, स्टील, खनन, वित्तीय संस्थानों, रत्न व आभूषण आदि के वृद्धि के रुझानों की भी समीक्षा करेगा।
आयकर विभाग के अधिकारी ने बताया, ‘हरेक क्षेत्र की कंपनियों की बैलेंस शीट का अध्ययन करने से यह उचित जवाब मिलेगा कि उनकी कमाई के अनुरूप भुगतान है या नहीं।’ कंपनियां अग्रिम कर की पहली किश्त का भुगतान 15 जून तक करेंगी। कर की मांग और बकाया वसूली पर विशेष ध्यान देने से पहले गुणवत्तापूर्वक जांच करने की रणनीति बनाई गई है।
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इस मामले के जानकार दो अधिकारियों के मुताबिक इस सोच का ध्येय कर के दायरे को बढ़ाना है। इस कार्ययोजना के तहत स्रोत से कर संग्रह पर ज्यादा जोर दिया जाएगा और कर चोरी पकड़ने के लिए प्रवर्तन के तंत्र का इस्तेमाल किया जाएगा। उम्मीद यह है कि इससे 2023-24 तक करदाताओं के आधार में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।