अमेरिका द्वारा भारत के निर्यात पर लगाए गए उच्च शुल्क का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों (एमएसएमई) पर पड़ने वाले असर और उनकी ऋण जरूरतों का सरकार मूल्यांकन करेगी। इसके लिए वित्त मंत्रालय सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ समीक्षा बैठक करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी। इस बैठक की अध्यक्षता वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव एम नागराजू करेंगे।
समीक्षा में वित्तीय समावेशन योजनाओं जैसे मुद्रा, ऋण गारंटी योजनाओं आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह समझना है कि बाहरी व्यापार दबाव एमएसएमई को कैसे प्रभावित कर रहे हैं और यह भी सुनिश्चित करना है कि मौजूदा सरकारी पहलों के तहत पर्याप्त ऋण सहायता जारी रहे।
अधिकारी ने कहा, ‘समीक्षा में वित्तीय समावेशन योजनाओं जैसे मुद्रा, ऋण गारंटी योजना आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। बैठक का उद्देश्य यह समझना है कि बाहरी व्यापार दबाव एमएसएमई को कैसे प्रभावित कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करना है कि मौजूदा सरकारी पहलों के तहत पर्याप्त ऋण सहायता जारी रहे। सरकार को इस बात की भी चिंता है कि उच्च शुल्क के प्रभाव की वजह से मुद्रा ऋण योजना के तहत गैर-निष्पादित आस्तियां बढ़ सकती हैं। वित्तीय सेवाओं का विभाग स्थिति की समीक्षा करेगा और संभावित सुधारात्मक उपायों पर बैंकरों से सुझाव मांगेगा।’
भारत के कुल निर्यात में 45 फीसदी से अधिक का योगदान देने वाले एमएसएमई को अमेरिका द्वारा निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगाने के फैसले के बाद बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एमएसएमई उद्योग संगठनों ने इसके व्यापक प्रभाव पर चिंता जताई और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
इंडिया एसएमई फोरम के प्रेसिडेंट विनोद कुमार ने कहा कि शुल्क में भारी वृद्धि से कारोबार में 30 अरब डॉलर से अधिक का सालाना नुकसान हो सकता है तथा सीमित वित्तीय बफर के कारण एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान होगा। इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
अधिकारी ने बताया कि बैठक में पीएम स्वनिधि और पीएम विश्वकर्मा जैसी सूक्ष्म ऋण योजनाओं की प्रगति पर भी चर्चा होने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘बैठक में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत निष्क्रिय खातों की स्थिति की भी समीक्षा की जा सकती है क्योंकि बैंकों को ऐसे खातों की संख्या कम करने का निर्देश दिया गया है।’
बैठक में बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट की प्रगति पर भी चर्चा होने की संभावना है। अधिकारी ने कहा, ‘बैठक में पूर्वोत्तर क्षेत्र में बैंक शाखाएं खोलने की प्रगति पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।’
उक्त अधिकारी ने कहा कि मार्च 2025 में एमएसएमई के लिए शुरू किए गए नए ऋण मूल्यांकन मॉडल के प्रदर्शन का भी आकलन किया जाएगा। उन्होंने बताया, ‘यह मॉडल डिजिटल रूप से प्राप्त और सत्यापन योग्य डेटा का उपयोग करके एमएसएमई ऋण का स्वचालित मूल्यांकन करता है। एमएसएमई के कर्ज आवेदन को सीधे प्रोसेस किया जाता है और
ऋण मंजूरी में समय भी कम लगता है। हालांकि जुलाई 2025 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने इस मॉडल के तहत केवल 11,994 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए हैं जिसकी भी बैठक में समीक्षा की जाएगी।’