विनिमय दर व्यवस्था के लिए आईएमएफ के तीन वर्गीकरण – फिक्स्ड, फ्लोटिंग और मैनेज्ड फ्लोट हैं। इसमें कुछ ही देशों में फिक्स्ड विनिमय दर, ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं में फ्री फ्लोट और भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मैनेज्ड फ्लोट हैं। इसे उपश्रेणी में बांटा। इसे आईएमएफ क्रालिंग पेग कहता है।
भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि भारत की विनिमय व्यवस्था प्रबंधित की जाती रहेगी। लिहाजा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की हाल में की गई टिप्पणी ‘क्राल्ड पेग’ के बारे में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। गुप्ता ने बताया कि मैं इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दूंगी। यह केवल कुछ देशों की भारत से तुलना पर आधारित है। इसमें कहा गया है कि भारत में काफी उतार-चढ़ाव है और अन्य देशों में कम है। तथ्य यह है कि ज्यादातर उभरते बाजारों की तरह भारत में भी फ्लोट का प्रबंध किया जाता है।
आईएमएफ ने हाल ही में भारत की विनिमय दर व्यवस्था को ‘स्थिर व्यवस्था’ से ‘क्रॉल जैसी व्यवस्था’ के रूप में वर्गीकृत किया है। इससे किसी देश और उसके व्यापारिक साझेदार के बीच मुद्रास्फीति के अंतर को प्रदर्शित करने के लिए विनिमय दर के क्रमिक समायोजन का संकेत मिलता है।
गुप्ता ने बताया कि विनिमय दर व्यवस्था के लिए आईएमएफ के तीन वर्गीकरण – फिक्स्ड, फ्लोटिंग और मैनेज्ड फ्लोट हैं। इसमें मुट्ठी भर देशों में फिक्स्ड विनिमय दर, ज्यादातर विकसित अर्थव्यवस्थाओं में फ्री फ्लोट और भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मैनेज्ड फ्लोट हैं।
उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक अब मैनेज्ड फ्लोट के तहत दोनों तरफ तार्किक स्तर पर बेजा उतार-चढ़ाव को रोकने का प्रयास करता है। आईएमएफ ने बीते छह महीनों के आंकड़ों को देखा है। उन्होंने अपनी सोच के अनुरूप उतार-चढ़ाव को एक दायरे में रखा गया। इसे उन्होंने उपश्रेणी में बांटा है। इसे वे क्रालिंग पेग कहते हैं।’
हालिया समय में भारतीय रुपया दबाव में आ गया है। उसका 2025 में 4.9 प्रतिशत अवमूल्यन हुआ और यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बना हुआ है। आईएमएफ ने लगातार दूसरे वर्ष अपने डेटा पर्याप्तता आकलन (डीएए) में भारत के राष्ट्रीय खातों के आंकड़ों को ‘सी’ ग्रेड दिया है। इस पर गुप्ता ने कहा कि यह आधार वर्ष को अपडेट करने से ज़्यादा जुड़ा है, न कि आंकड़ों की गुणवत्ता से।
उन्होंने कहा ‘जब कोई उनके फुटनोट्स का गहराई से देखता है तो यह आधार संशोधन के बारे में होता है। यह आंकड़ों की गुणवत्ता के बारे में नहीं है। यह जारी किए गए आंकड़ों की शुद्धता के बारे में नहीं है। यह एक ऐसे आधार के बारे में है जिसे पुराना माना जाता रहा है। मुझे लगता है कि इस संशोधन से वे इस मामले में संतुष्ट होंगे।’आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि जीडीपी और मुद्रास्फीति जैसे अनुमान काफी सटीक हैं। उन्होंने कहा, ‘बेशक, इनमें सुधार की गुंजाइश है।’