सरकार ने नई श्रम संहिता में हुनर सीखने के लिए एक कोष (री-स्किलिंग फंड) का प्रस्ताव दिया है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्ते भी जोड़ दी हैं। अपना रोजगार गंवा चुके कामगारों को नई नौकरी पाने में मदद करने के लिए सरकार इस कोष से नकद मदद देने पर विचार कर रही है। हालांकि कामगारों को इस मदद से सीखे नए हुनर का प्रमाण सरकार को देना होगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि केंद्र सरकार इस संबंध में एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके अनुसार अगर कोई कामगार एक निश्चित अवधि में दोबारा नया हुनर सीखने में असफल रहता है तो उसे मदद के रूप में मिली रकम सरकार को लौटानी होगी। अधिकारी ने कहा कि यदि ये लोग छंटनी के बाद अपने आप को नए काम के लिए तैयार करने में नाकाम रहे तो इन्हें इस रकम पर ब्याज भी देना होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि नौकरियां जाने के बाद कामगार पर्याप्त हुनर सीख सकें ताकि उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर खोजने में मदद मिले। सरकार चाहती है कि कामगारों को हुनरमंद बनाने के लिए भेजी गई रकम का इस्तेमाल उसी उद्देश्य के लिए किया जाए न कि इस रकम का कोई दूसरा इस्तेमाल हो। कामगारों को एक निश्चित अवधि में नया हुनर सीखने का प्रमाण भी देना होगा।’
प्रशिक्षण केंद्रों का पता लगाने में कामगारों की मदद के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा मान्यताप्राप्त कौशल केंद्रों की सुविधाएं देने पर विचार कर रही है।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 में छंटनी के शिकार हुए कामगारों के लिए ‘वर्कर री-स्किलिंग फंड’ का प्रावधान किया गया है। जब भी कोई नियोक्ता किसी कामगार की छंटनी करता है तो उसे संबंधित कर्मचारी के अंतिम 15 दिन का वेतन इस कोष में देना होगा। नए कानून के अनुसार इस कोष का प्रबंधन करने वाली केंद्र या राज्य सरकार छंटनी के 45 दिन के भीतर रकम कर्मचारी के बैंक खाते में डाल देगी। यह कानून अभी प्रभावी नहीं हुआ है। हरेक बार नौकरी गंवाने के बाद कामगारों को अपना हुनर बेहतर करने के लिए नकद मदद दी जाएगी। यह रकम छंटनी के वक्त मिलने वाले मुआवजे के अतिरिक्त होगी। छंटनी के बाद किसी कर्मचारी को सेवा के हरेक वर्ष के लिए 15 दिन का औसत वेतन दिया जाएगा।
श्रम अर्थशास्त्री और एक्सएलआरआई के प्राध्यापक के आर श्याम सुंदर ने कहा कि नई श्रम संहिता में छंटनी के बाद मामूली मुआवजे का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे कुछ राज्य कामगारों को छंटनी के एवज में अधिक मुआवजे की पेशकश कर रहे थे। सुंदर ने कहा, ‘सरकार ने हुनर सीखने का प्रमाण भी मांगेगी और प्रमाण नहीं देने पर कामगारों से ब्याज सहित रकम वसूलेगी। इतनी कड़ाई ठीक नहीं है और इससे यही संकेत मिल रहा है कि सरकार का कामागारों में भरोसा नहीं रह गया है। इसके अलावा दोबारा हुनर सीखने के लिए कामगारों को मिलने वाली रकम भी पर्याप्त नहीं होगी।’ शुक्रवार को एक वेबीनार में टीमलीज के सह-संस्थापक एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्ण चक्रवर्ती ने कहा था कि री-स्किलिंग फंड से नियोक्ताओं, खासकर सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का खर्च बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा था कि यह रकम किसी दूसरे क्षेत्र में रोजगार तलाशने के लिए पर्याप्त भी नहीं होगी। सरकार ने नई श्रम संहिता के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्मकार में कहा था कि इन नियमों में री-स्किलिंग फंड के संबंध में विस्तृत ढांचा तैयार किया जाएगा।
