Skip to content
  बुधवार 7 जून 2023
Trending
June 7, 2023पेट्रोल और डीजल के दाम: पारदर्शी कीमतों की जरूरतJune 7, 2023भारतीय सेना: क्षमता विकसित करने में तेजी की दरकारJune 7, 2023Odisha train accident: सुरक्षा के मोर्चे पर लापरवाह रवैयाJune 7, 2023MTNL बंद हुआ तो 3,574 कर्मचारियों के सामने सिर्फ वीआरएस लेने का ही विकल्पJune 6, 2023NBFC कंपनियों की तरफ से दिए जाने वाले लोन में मामूली इजाफाJune 6, 202310 years of Amazon India: भारत में एमेजॉन के 10 बरस पूरे, 2050 तक 20 लाख नौकरियों देने का किया वादाJune 6, 2023दक्षता बढ़ाने के लिए बेंच दुरुस्त करें IT कंपनियां: एक्सपर्ट्सJune 6, 2023Ashok Leyland को इस साल शीर्ष बिक्री स्तर की उम्मीदJune 6, 2023Brickwork Ratings को बड़ी राहत! SAT ने लाइसेंस रद्द करने वाले सेबी के आदेश को किया ख़ारिजJune 6, 2023साल 2047 तक भारत में नए वाहनों की कुल बिक्री में 87 प्रतिशत होंगे इलेक्ट्रिक वाहन: रिपोर्ट
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  अर्थव्यवस्था  मुझे खुशी होगी, अगर यह मेरा आखिरी बजट हो
अर्थव्यवस्था

मुझे खुशी होगी, अगर यह मेरा आखिरी बजट हो

बीएस संवाददाताबीएस संवाददाता| नई दिल्ली—March 2, 2008 9:02 PM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

बजट पेश करने के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बजट से चुनाव नहीं जीता जा सकता। इस आवाज को समुचित रूप से जनता तक पहुंचाना होगा। पी. चिदंबरम ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि 2008-09 में भी उनका लक्ष्य है कि विकास दर सकल घरेलू उत्पाद का 9 प्रतिशत बना रहे। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि आयकर पर अधिभार खत्म होना चाहिए। प्रस्तुत है बातचीत का खास अंश…
आपने लगातार पांच बजट पेश किया, साथ ही अपने पिछले बजट को भी देख रहे हैं। इस बजट में आपके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात क्या रही और किन बातों ने आपको निराश किया?
मेरे लिए सबसे खुशी की बात मेरी बल्लेबाजी का औसत बहुत बढ़िया रहा। हमारे कार्यकाल में विकास दर औसत 8.8 प्रतिशत बनी रही।
ये तो अर्थव्यवस्था की बात है। बजट के बारे में आपका क्या कहना है?
बजट को स्थायित्व की ओर ले जाने का लक्ष्य था। मैं सोचता हूं कि हमने वित्तीय स्थायित्व प्रदान किया। मेरा मानना है कि बेहतरीन और स्थाई कर दरें लाई गईं जिसके चलते राजस्व में बढ़ोतरी हुई। हमने इस बात पर खास ध्यान दिया कि संपूर्ण विकास हो, सिर्फ यह एकतरफा विकास तक सीमित न रहे। संपूर्ण विकास के साथ विकास की प्रक्रिया को देखा जाना चाहिए। मेरे विचार से पिछले चार साल में ये सबसे खुशी की बात है।
निराशा की बात यह है कि हमें सुधार की प्रक्रिया और तेज करनी चाहिए थी। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अभी तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जो सरकार के नियंत्रण में हैं। अगर ये नियंत्रण कम कर दिए जाएं, तो अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी।
क्या इसे आप अपना आखिरी बजट मानते हैं?
मुझे खुशी होगी, अगर यह मेरा आखिरी बजट होगा। जीवन में अभी तमाम चीजें करना बाकी हैं।
लोगों का कहना है कि यह एक चुनावी बजट है? क्या इसे इस रूप में देखा जाना चाहिए?
पिछले कुछ साल से हर बजट चुनावी बजट होता है, क्योंकि हर साल एक न एक चुनाव होता ही है। 2006 भी चुनावी साल था और 2007 भी। इसी कड़ी में 2008 भी चुनावी साल है।
मेरा मानना है कि यह बहुत सही नहीं है कि इसे चुनावी बजट कहा जाए। मैने इस सरकार का पांचवां बजट पेश किया है और संविधान में पहले से ही तय नियमों के मुताबिक मई 2009 में चुनाव होने हैं। इसलिए मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि यह चुनावी बजट है।
क्या यह बजट चुनाव जीतने में मददगार साबित होगा?
बजट चुनाव के परिणाम नहीं तय करता। यह इस बात पर निर्भर करता है कि जनता तक इस बात को किस रूप में पहुंचाई जाए। साथ ही यह भी संकेत दिया जाना चाहिए कि आगामी वर्षों में आपकी योजनाएं क्या हैं, जैसा कि चुनावों में होता है। तमिलनाडु में 2006 में हुए चुनावों का उदाहरण लें- चुनाव घोषणापत्र के मुताबिक यह चुनाव हुआ, जिससे सफलता मिली। इसी तरह बजट में हुए कामों को लोगों तक सही ढंग से पहुंचाया जाए, तो इससे चुनाव में मदद मिलती है। और इसमें बुरा क्या है?
आपने बजट में जो कुछ किया उसमें लोगों के लिए बहुत कुछ है। किसानों के लिए, मध्यवर्ग के लिए, कर देने वालों के लिए- हालांकि कंपनियां थोड़ी नाखुश नजर आती हैं। सब करने के बाद आप नाभिकीय समझौते की ओर आगे क्यों नहीं बढ़ सकते हैं? आप वाम दलों से कह सकते हैं कि अगर समर्थन वापस भी लिया तो भी इसे आगे बढ़ाया जाएगा और आप इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा सकते हैं कि हमने क्या-क्या काम किए हैं?
ये ऐसे सवाल हैं जिसे आप यूपीए नेतृत्व और प्रधानमंत्री के सामने  उठा सकते हैं। मैं केवल वित्त मंत्री हूं।
आप बैंकिग क्षेत्र के लिए तमाम नए कर लेकर आए और अब आपने उनमें से एक, बैंकिंग कैश ट्रांजेक्शन टैक्स को हटा दिया?
मैने तब भी कहा था, जब इसे लगाया गया था। यह कर के माध्यम से पैसा जुटाने के लिए नहीं था। यह केवल एक श्रोत था जिससे जरूरत पर पैसा जुटाया जा सकता था।
मैं आपके पुराने भाषण की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं। 2007 में आपने कहा था कि मैं आयकर अधिनियम के कुछ निश्चित क्षेत्रों में सुधार के लिए प्रस्ताव रख रहा हूं जिसमें व्यावसायिक कार्यों के लिए कृत्रिम भत्ते दिखाने, होटल का बिल और यात्रा खर्च होता है। आपने कहा था कि इसे सरल किए जाने की जरूरत हैं। यह विचार रखने के बावजूद भी आपने फ्रिंज बेनीफिट टैक्स जैसे अहम मुद्दे की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया?
हमने इस बारे में कई बार स्पष्टीकरण दिया है। इस खर्च पर अनुमति देने या न देने पर निर्णय कर सकते हैं, इसका मतलब यह होता है कि इसके बारे में अनुमान लगाने वाले का अधिकार मैं लेना चाहता हूं। जब तक एफबीटी लागू नहीं होता, यह अधिकार अनुमान करने वाले अधिकारी के पास था। अब अनुमान करने वाले अधिकारी के पास कोई अधिकार नहीं है। अगर खर्च निर्धारित किया जाता है तो अगर आप 50 प्रतिशत या 20 प्रतिशत का भी आधार बनाते हैं तो इस पर कर देना होता है। हमारे ख्याल से यह बेहतर है कि अनुमान करने वाले अधिकारी के विवेक पर इसे छोड़ दिया जाए कि क्या खर्च किए जाने योग्य है और क्या नहीं है।
एफबीटी में बहुत सी जटिलता है, खासकर इंप्लाई स्टॉक आप्शन के बारे में। इसके लिए उद्योग जगत के लोगों ने आपसे कई बार कहा है?
मै आपको विश्वास दिलाता हूं। इंप्लाई स्टॉक आप्शन के मामले में एफबीटी पर उद्योगों के सीएफओ से बातचीत करके हल निकाल लिया जाएगा।
व्यक्तिगत आयकर के मोर्चे पर कर भुगतान करने वाला, कर भुगतान करने के मामले में दो भागों में बंटा हुआ महसूस कर सकता है?
अगर कोई आदमी 5 लाख रुपये सालाना कमाता है तो उसकी प्रतिमाह आमदनी 40,000 रुपये है। ज्यादा संभव है कि वह शहर या कस्बे में रह रहा हो। चालीस हजार रुपये एक शहर या कस्बे में एक परिवार के लिए बहुत बड़ी रकम नहीं है। यह सही है कि हमने उसे कर में राहत दी है, क्योंकि कर भुगतान का अनुपालन बढ़ा है। राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। हमारा मानना है कि कर ढांचे में परिवर्तन करने से राजस्व में और बढ़ोतरी होगी।
कर ढांचे में परिवर्तन कर आपने कुछ राजस्व खो दिया है?
बड़ी संख्या में लोग कर भुगतान के लिए सामने आए हैं। उन्होंने अपनी आमदनी तो बढ़ाई ही है, साथ ही एक पूंजी भी तैयार की है। इसलिए जब हम कर ढांचे में परिवर्तन भी कर रहे हैं तो कर देने वाले उसे देना बंद नहीं करेंगे। वे पहले की ही तरह कर देंगे और पूंजी भी तैयार करेंगे। इस तरह हम राजस्व हासिल कर लेंगे।
आपने अनुमान लगाया है कि आयकर राजस्व 2008-09 में 18 प्रतिशत बढ़ जाएगा?
यह बहुत ही तर्कपूर्ण अनुमान है। जो लोग कर का भुगतान कर रहे हैं, उसे जारी रखेंगे। सामान्य सी बात है कि वे उससे बेहतर ही करेंगे। इससे ज्यादा मैं कुछ भी नहीं कह सकता। उन्होंने पिछले कुछ साल से सरकार के लिए बहुत बढ़िया प्रदर्शन किया है। फिर हम कर देने वाले लोगों के खिलाफ क्यों कहें? स्वत: कर देने में सुधार हुआ है। मुझे विश्वास है कि सभी लोग इस क्षेत्र में बेहतर करेंगे और राजस्व की हालत सुधरेगी। यह हमारी अवधारणा है और इसी के मुताबिक हमने अनुमान लगाया है। इसका कोई कारण नहीं है कि प्रत्यक्ष कर में किसी भी तरह की कमी आए और पिछले सालों की तरह इसमें बढ़ोतरी न हो।
यह सवाल कार्पोरेशन करों के बारे में भी उठता है, क्योंकि कार्पोरेट प्रोफाइल में स्पष्ट रूप से गिरावट का रुख नजर आ रहा है। अब यह 15 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इसके बावजूद आप कार्पोरेशन करों में अगले साल 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे हैं?
मुझे आशा है कि बढ़ती मांग के चलते कार्पोरेट एक बार फिर जोरदार प्रदर्शन करेगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत मिल रहे हैं। क्या इस समय भारत को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाकर इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए?
मैने अपने भाषण में भी कहा है कि खासकर उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में वैश्विक बाजार में मंदी रहेगी। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के मामले में भी हालत कुछ ऐसी ही रहेगी। हमने विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की है- जैसे कार, दोपहिया, तिपहिया, कागज। इसी के मुताबिक हमने बसों और चेचिस के करों में कटौती भी की है।
कार्पोरेशन कर की दरों के बारे में आपका क्या कहना है?
कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्हें बढ़िया लाभ हो रहा है। सभी कंपनियों पर 22 से 23 प्रतिशत कर प्रभावी है और वे इसका भुगतान भी कर रहे हैं। इस बात का कोई कारण नहीं है कि वे इसमें कमी आने देंगे। ऐसी हालत में हम इसे क्यों न बरकरार रखें, जो पहले से ही चला आ रहा है?
आपने तमाम उन कर छूटों को दिखाया है जिसे सामन्यतया सरकारें छोड़ देती हैं। क्या इससे यह नहीं लगता कि आपने कुछ मामूली दरों को खत्म कर दिया है और कुछ छूटों को हटा दिया है?
अगर आप तीन प्रमुख औद्योगिक चैंबर्स के प्रमुखों से इस बात पर मुझसे सहमति करा दें कि किस छूट को हटा दिया जाए, तो मुझे बहुत खुशी होगी। हर एक छूट के पीछे एक पूरी लॉबी होती है।
आइये एक बार फिर लौटते हैं आपके इस बजट की सबसे बड़ी घोषणा की ओर। आपने किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया। पहला सवाल यह उठता है कि आपने उन लोगों का कर्ज माफ किया है जिन्होंने कर्ज का भुगतान नहीं किया है। लेकिन आपने उनके लिए क्या किया जिन्होंने अपनी जमीन-जायदाद और गहने बेंचकर कर्ज चुकाया है?
अब उनके लिए क्या किया जा सकता है? देखिए यह बहुत आसान होता है कि एक के खिलाफ दूसरे के लिए गङ्ढा खोदा जाए। लोग यह भी कह सकते हैं कि उनके बारे में क्या किया गया जिन्होंने महाजनों से पैसे लिए। उनके लिए मेरे पास करने के लिए कुछ भी नहीं है। इस चीज का कोई अनुमान या रिकार्ड नहीं है कि किसने, किससे और कितना पैसा उधार लिया है। इस मामले में हम कुछ भी करने में सक्षम नहीं हैं। इससे नैतिक आधार पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। यह उद्योग जगत में भी होता है।
यह किसका विचार था?
मेरा मानना है कि यह हर एक का विचार था। सभी लोग इसे अपना विचार होने का दावा करते हैं। सभी राजनीतिक दल कहते हैं कि यह उनका विचार था। हम इस मुद्दे पर क्यों लड़ें?
इसका मतलब है कि यह आपका विचार नहीं था?
क्यों? मैने ऐसा किया। मैने इसकी घोषणा की। मेरा मानना है कि मैने बहुत बढ़िया किया, जिसकी जरूरत आज कृषि क्षेत्र को थी।
लोग यह जानना चाहते हैं कि इस घोषणा को कैसे पूरा किया जाएगा और इसके लिए पैसा कहां से आएगा?
हम इसकी घोषणा उचित समय पर संसद में करेंगे। हमने इसके लिए योजना बनाई है कि इसे किन संसाधनों से जुटाया जाएगा। हमने यह भी योजना बनाई है कि बैंको को तीन साल के लिए समान तरलता दी जाएगी।
तरलता देने से तो पूंजी समर्थन नहीं होगा?
अन्य विकल्प भी हैं, इसके लिए कई विकल्प हैं।
क्या आप आगामी साल में थोक भाव में डॉलर के आने की उम्मीद कर रहे हैं? इसीलिए आपने मार्केट स्लेबिलाइजेशन बांड का प्रावधान किया है? क्या यह सही है?
सही, मैं नहीं जानता कि इसमें किस तरह से बढ़ोतरी होगी।  वास्तव में अगर ब्याज दरों में अधिक अंतर होगा तो भारत में पूंजी का प्रवाह जोरदार होगा। अगर भुगतान की वापसी घर की ओर होगी, पूंजी का प्रवाह भारत की ओर हो सकता है। इसलिए हम यह नहीं जानते कि किस तरह उछाल आएगा। हम केवल सचेत रहेंगे। हम केवल इस बात पर ध्यान रखेंगे कि होने वाली घटनाओं को किस तरह अपने पक्ष में मोड़ लिया जाए।
आपने वित्तीय घाटे को 2.5 प्रतिशत रखने का लक्ष्य बनाया है, जबकि एफआरबीएम एक्ट में इसे 0.5 प्रतिशत करने को कहा गया है। वास्तव में यह 3 प्रतिशत है। क्या यह कहना व्यावहारिक है कि वेतन आयोग के लागू होने से बढ़ने वाले खर्च और बैंकों को धन दिए जाने के बाद भी वित्तीय घाटे को 3 प्रतिशत तक सीमित रखा जा सकेगा?
मैं गंभीरतापूर्वक इसकी उम्मीद रखता हूं। मैने करों के बढ़ने और राजस्व में होने वाली बढ़ोतरी के आधार पर दाव खेला है। इस साल मैने बजट में लगाए गए अनुमान से ज्यादा कर एकत्र करने का अनुमान लगाया है। मैं बजट के अनुमान से ज्यादा राजस्व पाने के लिए उम्मीद लगाए हुए हूं, हालांकि बजट के अनुमानों के मुताबिक भी मिल जाता है तो बेहतर है। हमने खुद के लिए कुछ जगह छोड़ रखी है और इसके अलावा अन्य विकल्पों के बारे में भी सोचा है, जहां कुछ किया जा सकता है।
आपने अपने बजट भाषण में तेल बांड जैसी कुछ चीजों को छोड़ दिया है?
वास्तव में पहली बार मैने इसका खुलासा किया है। पहले के वर्षों में इसके बारे में कोई खुलासा ही नहीं होता था। तब तो किसी ने सवाल नहीं  उठाया।
सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में करों में 2.5 प्रतिशत से अधिक का सुधार आया है। इसलिए आपने कुछ सुधारों की ओर ध्यान ही नहीं दिया। सच कहें तो घाटे के मामले में आप और भी सुधार कर सकते थे?
हमने 9.2 प्रतिशत पाया था और इसे इस साल 12.5 प्रतिशत पर ले आए हैं। यह 3 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी है। इस बात का खयाल रखें कि मैं वित्तीय घाटे को और कम कर सकता था, लेकिन राजस्व घाटे ने साथ नहीं दिया। राजस्व बहुत ज्यादा है और राजस्व खर्च उससे भी ज्यादा। राजस्व खर्च पर निर्भरता मैं जितना कम करना चाहता था, नहीं हो पाया। लेकिन अगर हमारे पास राजस्व है तो उधारी कम होगी। वास्तव में जब हम बैलेंस शीट पर ध्यान देते हैं, यह निर्णय करना बहुत कठिन होता है कि राजस्व पर निर्भर रहें या उधारी से काम चलाएं। अन्त में हम इस नतीजे पर पहुंचे कि वित्तीय घाटे को 2.5 प्रतिशत रखा जाए और राजस्व घाटे को 1 प्रतिशत किया जाए।
जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का अनुमान लगाया जा रहा है उस समय आप तेजी से विकास होने का बजट बना रहे हैं?
हम सचेत हैं कि वैश्विक बाजार में मंदी रहेगी। यहां भी मंदी का कुछ असर रहेगा। खासकर विनिर्माण क्षेत्र में, लेकिन सेवा क्षेत्र बेहतर करेगा। हमने निर्णय किया है कि उपभोग को बढ़ावा देंगे। इसके लिए वित्तीय कदम उठाए जाएंगे। और मुझे अनुमान है कि हम मंदी के दौर से उबरने में सफल होंगे। आप सकल घरेलू उत्पाद के 9 प्रतिशत की वृध्दि दर को खारिज नहीं कर सकते हैं। जब तक मैं इस कुर्सी पर हूं इस विकास दर को बरकरार रखने का लक्ष्य रखूंगा।
आपके और कौन-कौन से काम हैं जो अगले चुनावी साल में पूरा करने को सोच रहे हैं?
पिछली बार 1997 में जो कर दरें निर्धारित की गईं थीं उसमें कोई भी कटौती कर सकता था। हमने कर ढांचे में परिवर्तन किया है और उम्मीद है कि यह लंबे समय तक चलेगा। इस समय हमारे पास बेहतरीन कर दरें हैं और जायज कर ढांचा है। इसलिए मैं समझता हूं कि कर सुधार बेहतरीन है।
अधिभार (सरचार्ज) के बारे में आपका क्या कहना है?
अधिभार खत्म होगा। वास्तव में मैं चाहता हूं कि अधिभार खत्म हो। अगर राजस्व में सुधार जारी रहा तो मुझे उम्मीद है कि अगला वित्तमंत्री ( मुझे उम्मीद है कि वह कांग्रेस पार्टी का ही होगा) इसे पूरी तरह से खत्म कर देगा। इसे दो चरणों में खत्म किया जाए या चार चरणों में, मेरा मानना है कि इसे खत्म ही किया जाना चाहिए।
अगर कल्पना करें कि अगली सरकार के वित्त मंत्री आप ही होंगे तो अगले बजट में आप क्या करेंगे?
हमें नहीं मालूम है कि अगला वित्त मंत्री कौन होगा। लेकिन जो भी अगला वित्त मंत्री होगा, मेरी सलाह यही रहेगी कि वह अधिभार खत्म कर दे।

Budget
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
अर्थव्यवस्था

केंद्र सरकार ने महिलाओं को 27 करोड़ मुद्रा ऋण वितरित किए: अमित शाह

June 6, 2023 5:11 PM IST
अर्थव्यवस्था

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी समिति की बैठक शुरू, रीपो रेट यथावत रहने की उम्मीद

June 6, 2023 3:27 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान सरकार का कर्ज 34 फीसदी बढ़कर 58.6 लाख करोड़ रुपये हुआ

June 6, 2023 1:36 PM IST
अर्थव्यवस्था

महंगाई के दबाव से सेवा पीएमआई में आई कमी: S&P Global

June 5, 2023 11:12 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान सरकार का कर्ज 34 फीसदी बढ़कर 58.6 लाख करोड़ रुपये हुआ

June 6, 2023 1:36 PM IST
आपका पैसा

Income Tax Rebate : शेयर और म्युचुअल फंड से हुई कमाई पर क्या आपको मिलेगा रिबेट का फायदा?

June 6, 2023 11:33 AM IST
आज का अखबार

क्या पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं होगा? जानें एक्सपर्ट की राय

June 5, 2023 10:59 PM IST
आपका पैसा

RBI की बैंकों को सलाह: अब नहीं आएगी क्लेम सैटलमेंट और सर्टिफिकेट जमा करने में समस्या

June 5, 2023 8:17 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

UBS का स्विट्जरलैंड में होगा इकलौता राज, 12 जून तक पूरा हो सकता है क्रेडिट सुइस का अधिग्रहण

June 5, 2023 4:27 PM IST
आपका पैसा

ITR Filing 2023: कैपिटल गेन पर कब उठा सकते हैं डिडक्शन का फायदा

June 5, 2023 12:25 PM IST

Trending Topics


  • Stock Market Live Updates
  • Stock Market Today
  • Stocks to Watch Today
  • Byju
  • S&P Global
  • Gold-Silver Price
  • Mutual Funds
  • Apple WWDC 2023
  • IKIO Lighting IPO

सबकी नजर


पेट्रोल और डीजल के दाम: पारदर्शी कीमतों की जरूरत

June 7, 2023 12:12 AM IST

भारतीय सेना: क्षमता विकसित करने में तेजी की दरकार

June 7, 2023 12:11 AM IST

Odisha train accident: सुरक्षा के मोर्चे पर लापरवाह रवैया

June 7, 2023 12:06 AM IST

MTNL बंद हुआ तो 3,574 कर्मचारियों के सामने सिर्फ वीआरएस लेने का ही विकल्प

June 7, 2023 12:00 AM IST

NBFC कंपनियों की तरफ से दिए जाने वाले लोन में मामूली इजाफा

June 6, 2023 11:59 PM IST

Latest News


  • पेट्रोल और डीजल के दाम: पारदर्शी कीमतों की जरूरतJune 7, 2023
  • भारतीय सेना: क्षमता विकसित करने में तेजी की दरकारJune 7, 2023
  • Odisha train accident: सुरक्षा के मोर्चे पर लापरवाह रवैयाJune 7, 2023
  • MTNL बंद हुआ तो 3,574 कर्मचारियों के सामने सिर्फ वीआरएस लेने का ही विकल्पJune 7, 2023
  • NBFC कंपनियों की तरफ से दिए जाने वाले लोन में मामूली इजाफाJune 6, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
60431.00 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स60431
380.06%
निफ्टी60431
380%
सीएनएक्स 50014954
130.08%
रुपया-डॉलर82.05
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
AU Small Finance679.6017.08
IDBI Bank51.679.66
Guj. Ambuja Exp265.707.51
Welspun India80.936.40
Chola Financial600.304.48
Graphite India278.304.43
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
AU Small Finance679.2017.07
F A C T320.8012.40
IDBI Bank51.709.77
Guj. Ambuja Exp265.557.66
Welspun India81.156.64
Ingersoll-Rand2763.055.53
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stock Market Live UpdatesStock Market TodayStocks to Watch TodayByjuS&P GlobalGold-Silver PriceMutual FundsApple WWDC 2023IKIO Lighting IPO
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us