विकसित बाजारों में भले भी लंबे समय तक उच्च दर का रुख हो सकता है, लेकिन भारत में लंबे समय तक उच्च ब्याज दर की संभावना नजर नहीं आ रही है। बाजार का एक तबका 2023 में ही ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कर रहा है।
भारतीय स्टेट बैंक में ग्रुप चीफ इकनॉमिक एडवाइजर सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के नीतिगत दर स्थिर रखने के फैसले ने इस बहस को खत्म कर दिया है कि दरें लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहेंगी। ऐसे में हम बाद के समय में कम की ओर बढ़ेंगे।’
घोष ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अब हम उम्मीद कर रहे हैं कि नीति आंकड़ों पर निर्भर होगी। बहरहाल प्रमुख महंगाई दर वित्त वर्ष 24 के ज्यादातर महीनों में 6 प्रतिशत से नीचे रहने की उम्मीद है और इसकी वजह से नीतिगत दर में विराम बढ़ना एक रूढ़िवादी फैसला हो सकता है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अगर वैश्विक मंदी की स्थिति आती है तो घरेलू स्थिति पर भी असर होगा और ऐसे में दर की चक्रीय कार्रवाई बदल सकती है।’
वैश्विक मंदी की वजह से कुछ विश्लेषक भारतीय रिजर्व बैंक के वृद्धि अनुमानों से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि रिजर्व बैंक वृद्धि को लेकर ज्यादा आशावादी है और 2023-24 में जीडीपी में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। फरवरी में वृद्धि दर का अनुमान 6.4 प्रतिशत से बढ़ा दिया था क्योंकि उसे तेल की कीमत 95 बैरल प्रति डॉलर से घटकर 85 बैरल प्रति डॉलर रहने की उम्मीद थी।
नोमुरा ने एक नोट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि रिजर्व बैंक का वित्त वर्ष 24 में पिछले साल की तुलना में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान बहुत आशावादी है और हम 1 प्रतिशत अंक कम रहने की उम्मीद कर रहे हैं। ‘
नोट में कहा गया है, ‘हमारे विचार से तेल की कीमत कम रहने के अनुमान के आधार पर 0.1 पीपी जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाने में वैश्विक वृद्धि में कमी का ध्यान नहीं रखा गया है, जिसके कारण कीमत कम रहने का अनुमान लगाया गया है।’ नोमुरा को उम्मीद है कि वृद्धि में उल्लेखनीय निराशा होगी और अक्टूबर 2023 के बाद से दर में 75 आधारअंक की कमी होगी।
अप्रैल की बैठक में 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का फैसला किया था, जबकि इसके पहले की लगातार 6 बैठकों में दर में बढ़ोतरी की गई थी। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर दिया था कि अप्रैल की पॉलिसी में सिर्फ ठहराव लाया गया है और वक्त की मांग के मुताबिक केंद्रीय बैंक कदम उठाने के लिए तैयार है।
सिटी के अर्थशास्त्रियों का कहना है उनका मूल विचार है कि रिजर्व बैंक पिछली बढ़ोतरी के मूल्यांकन के लिए लंबे समय तक स्थिरता रखेगा। उनका कहना है, ‘वित्तीय स्थिरता के मसले के अलावा जोखिम को लेकर विचार विषम है। अगर महंगाई दर अनुमान से इतर जाती है तो दर में बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि अगर वृद्धि में सुस्ती आती है तो दर में तेज कटौती का विकल्प अपनाया जा सकता है।’ दर में बढ़ोतरी के खिलाफ मतदान करने वाले एमपीसी के बाहरी सदस्य जयंत वर्मा ने कहा कि था कि वृद्धि को लेकर अभी भी अस्थिरता है।
गोल्डमैन सैक्स को 2024 की पहली और दूसरी तिमाही में रीपो रेट में 2 कटौती की उम्मीद है। गोल्डमैन सैक्स ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं की सीपीआई महंगाई शेष महीनों में 6 प्रतिशत से नीचे (यह रिजर्व बैंक द्वारा तय ऊपरी सीमा है) रहेगी और रिजर्व बैंक 2023 के अंत तक स्थिरता बनाए रखेगा। हमारा अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2024 में पहली और दूसरी तिमाही में नीतिगत दर में 25-25 आधार अंक की कटौती होगी।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल की पॉलिसी में वित्त वर्ष 24 के लिए महंगाई दर का अनुमान घटाकर 5.2 प्रतिशत कर दिया है, जो फरवरी की पॉलिसी में लगाए गए 5.3 प्रतिशत अनुमान की तुलना में कम है। ब्रोकिंग फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि बाहरी मांग स्थिर होने, भू राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव की वजह से वृद्धि नीचे जाने का अनुमान है।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा, ‘वित्त वर्ष 24 में 5.2 प्रतिशत महंगाई दर रहने के अनुमान के साथ वास्तविक नीतिगत दर पहले ही 1.3 प्रतिशत पर है। अब ज्यादा संभावना लगती है कि जून 23 में भी स्थिरता बनी रहेगी और उसके बाद अगली कार्रवाई संभवतः 2023 के आखिर तक कटौती की होगी। इसकी वजह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय कमजोरी नजर आ रही है।’