GST 2.0: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने दो बड़े अनुपालन नियमों में राहत देने का रास्ता साफ कर दिया है जिसके तहत एक छोटे और कम जोखिम वाले कारोबारों के लिए आसान पंजीकरण योजना और दूसरा तेजी से रिफंड देने के लिए जोखिम-आधारित ढांचा होगा। इस साल 1 नवंबर से, योग्य आवेदकों को तीन कार्य दिवसों के भीतर एक स्वचालित प्रक्रिया के माध्यम से जीएसटी पंजीकरण हो जाएगा, जबकि निर्यातकों और उलट शुल्क संरचना का सामना करने वाली कंपनियों को उनके रिफंड दावों का 90 फीसदी हिस्सा तुरंत मिल सकेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि यह योजना केंद्र एवं राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्रों को कवर करेगी और उन मामलों में लागू होगी जहां आवेदकों को कम जोखिम वाला माना जाएगा। अग्रवाल ने कहा, ‘कुछ मामलों, जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और सरकारी विभागों को स्वचालित जीएसटी पंजीकरण दिया जाएगा जिनकी पहले से ही एक मजबूत कर पहचान है। एक और श्रेणी ऐसे कारोबारों की है जो मुख्य रूप से सीधे ग्राहकों को सामान बेचते हैं (बी2सी) जैसे कि खुदरा विक्रेता, ब्यूटी पार्लर और फिटनेस सेंटर।’
उन्होंने आगे कहा कि अन्य मामलों में, जिनकी बी2बी (कारोबारी से कारोबारी) आपूर्ति पर जीएसटी देनदारी प्रति माह 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, वे आसान पंजीकरण का विकल्प चुन सकते हैं। उन्होंने कहा,‘अगर भविष्य में वे इस सीमा को पार कर जाते हैं, तब वे उचित जांच के बाद सामान्य पंजीकरण में बदल सकते हैं।’
सरकार के अनुसार, कम जोखिम वाले आवेदकों और उन आवेदकों को जो अपने खुद के आकलन के आधार पर यह तय करते हैं कि पंजीकृत व्यक्तियों को उनकी आपूर्ति पर उनकी आउटपुट कर देनदारी प्रति माह 2.5 लाख रुपये (सीजीएसटी, एसजीएसटी/यूटीजीएसटी और आईजीएसटी सहित) से अधिक नहीं होगी ऐसी स्थिति में आवेदन जमा करने की तारीख से तीन कार्य दिवसों के भीतर स्वचालित आधार पर पंजीकरण दिया जाएगा। सरकार ने पहले ही एक विज्ञप्ति में कहा था कि इस योजना से लगभग 96 फीसदी नए आवेदकों को लाभ मिलने की उम्मीद है और यह वैकल्पिक होगी और इसमें स्वेच्छा से बाहर निकलने की अनुमति भी होगी।
ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी के साझेदार और कर विवाद प्रबंधन लीडर मनोज मिश्रा के अनुसार, यह कदम छोटे उद्यमियों के लिए सबसे बड़ी परेशानियों में से एक यानी प्रक्रियागत देरी को दूर करेगा। मिश्रा ने कहा,‘यह कदम न केवल अनुपालन के बोझ को कम करता है, बल्कि ईमानदार करदाताओं के प्रति विश्वास के मजबूत संकेत भी देता है। योजना की वैकल्पिक प्रकृति, साथ ही इसमें शामिल होने और बाहर निकलने का लचीलापन इसे और भी व्यावहारिक बनाता है। विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए जो औपचारिक बाजारों में प्रवेश कर रहे हैं। यह ढांचा पहले दिन से ही जटिल अनुपालन में उलझे बिना उन्हें तेजी से बाजार तक पहुंच और तरलता देगा।’
परिषद ने कई राज्यों में ई-कॉमर्स मंच के माध्यम से बिक्री करने वाले छोटे आपूर्तिकर्ताओं के लिए एक सरलीकृत जीएसटी पंजीकरण तंत्र को सैद्धांतिक मंजूरी भी दी है। इन आपूर्तिकर्ताओं को वर्तमान जीएसटी ढांचे के तहत हर राज्य में ‘व्यवसाय के प्रमुख स्थान’ को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने विज्ञप्ति में कहा था कि उस योजना को लागू करने के लिए विस्तृत तौर-तरीकों को जीएसटी परिषद के सामने रखा जाएगा।
तेजी से मिलेगा रिफंड
विज्ञप्ति के अनुसार, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) को निर्यात या आपूर्ति जैसे शून्य-दर वाली आपूर्ति के कारण 90 फीसदी रिफंड दावे कर अधिकारी द्वारा तंत्र-संचालित जोखिम मूल्यांकन के आधार पर स्वीकृत किए जाएंगे। केवल असाधारण मामलों में, जहां जोखिम की स्थिति होगी वहां, दावों की व्यापक जांच की जाएगी। इस सुविधा से कुछ श्रेणियों को बाहर करने के लिए एक अधिसूचना भी जारी की जाएगी।