सरकार ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 22 साप्ताहिक नीलामियों के जरिए मार्केट से 6.77 लाख करोड़ रुपये की उधारी जुटाने की योजना की घोषणा की है। दरअसल, सरकार की वित्त वर्ष 26 में अक्टूबर से मार्च के दौरान अल्ट्रा दीर्घावधि बॉन्ड की हिस्सेदारी कम हो गई।
आर्थिक मामलों के विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया, ‘ इस साल के लिए घोषित कुल सकल उधारी 14.72 लाख करोड़ रुपये थी लेकिन सरकार की उधारी इस आंकड़े से कुछ कम है। भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार से मिली प्रतिक्रिया के साथ चर्चा के आधार पर लंबी अवधि की प्रतिभूतियों की हिस्सेदारी को लगभग पांच प्रतिशत अंक कम कर दिया गया है।
ठाकुर ने कहा कि सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने का विश्वास है। उधारी कैलेंडर संकेत था कि सरकार ध्यान दे रही है। ठाकुर ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि यह धीमा होने और सरकार के ध्यान देने का बाजार को विश्वास दिलाने के संकेतों में एक है। हमारा उधारी कैलेंडर उस दिशा में एक कदम है।’
वित्त वर्ष 26 की पहली छमाही में 30 वर्ष से अधिक अवधि की प्रतिभूतियां 34.6 प्रतिशत थीं। इन्हें वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में घटाकर 29.5 प्रतिशत लाया गया है।
वित्त मामलों की सचिव ने कहा, ‘ बाजार उधारी धन जुटाने के स्रोतों में से केवल एक है। हम दैनिक आधार पर बहुत उत्साहजनक जीएसटी प्राप्तियां देख रहे हैं।’
कुल उधारी में सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जारी करना शामिल है। वित्त मंत्रालय ने बॉन्ड जारी करने का कैलेंडर जारी किया है। इसमें बॉन्ड से उधारी तीन वर्ष, पांच वर्ष, सात वर्ष, 10 वर्ष, 15 वर्ष, 30 वर्ष, 40 वर्ष और 50 वर्ष से अधि की अवधि के लिए होगी।विभिन्न परिपक्वता अवधियों के तहत उधारी की हिस्सेदारी इस प्रकार होगी : तीन साल (6.6 प्रतिशत), पांच साल (13.3 प्रतिशत), सात साल (8.1 प्रतिशत), 10 साल (28.4 प्रतिशत), 15 साल (14.2 प्रतिशत), 30 साल (9.2 प्रतिशत), 40 साल (11.1 प्रतिशत) और 50 साल (9.2 प्रतिशत) हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार मोचन (रिडंप्शन) प्रोफाइल को सुचारू करने के लिए प्रतिभूतियों की स्विचिंग या खरीद करेगी। वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘सरकार नीलामी अधिसूचनाओं में उल्लिखित प्रत्येक प्रतिभूति के मुकाबले 2,000 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त अभिदान को बनाए रखने के लिए ग्रीनशो विकल्प का प्रयोग करने का अधिकार जारी रखेगी।” भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकार के भुगतान और प्राप्तियों में अस्थायी बेमेल पर ध्यान रखने के लिए वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही के लिए तरीके और साधन अग्रिम की सीमा 50,000 करोड़ रुपये तय की है।
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सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में बाजार से 8 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की अपनी योजनाओं की घोषणा की थी। यह 14.82 लाख करोड़ रुपये के कुल सकल बाजार उधारी लक्ष्य का लगभग 54 प्रतिशत है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 में 4.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने का विश्वास है और दूसरी छमाही में उधारी का स्तर अपरिवर्तित रहेगा।
वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी तिमाही में ट्रेजरी बिलों के जारी करने से साप्ताहिक उधारी 13 सप्ताह के लिए 19,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। इसमें 91 डीटीबी के तहत 7,000 करोड़ रुपये, 182 डीटीबी के तहत 6,000 करोड़ रुपये और 364 डीटीबी के तहत क्रमशः 6,000 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे।
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वित्त मंत्रालय ने कहा, “जैसा कि पहले होता रहा है, कैलेंडर में शामिल सभी नीलामियों में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली की सुविधा होगी। इसके तहत अधिसूचित राशि का पांच प्रतिशत निर्दिष्ट खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित किया जाएगा।