आम चुनावों से पहले आज वित्त मंत्रालय ने खजाने को सूझबूझ से संभालने का संकेत दिया और चालू वित्त वर्ष के लिए संसद से पूरक मांगों की पहली किस्त में केवल 58,378 करोड़ रुपये के शुद्ध नकद व्यय सहित 1.29 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त सकल खर्च की मंजूरी मांगी। मगर सरकार फरवरी में बजट सत्र के दौरान पूरक मांगों की दूसरी किस्त पेश करेगी जिसमें वह खर्च के लिए और रकम मांग सकती है।
शुद्ध नकद व्यय में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के 14,524 करोड़ रुपये सहित 70,968 करोड़ रुपये की बचत या प्राप्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार ने आकस्मिक निधि से ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का अग्रिम भी लिया है।
पूरक मांगों में नए मद में व्यय, जो बजट में पहले से शामिल नहीं थे और मौजूदा योजनाओं पर खर्च में वृद्धि पर होने वाले व्यय शामिल हैं। अतिरिक्त व्यय में खाद सब्सिडी (13,351 करोड़ रुपये), खाद्य सब्सिडी (10,396 करोड़ रुपये), गारंटी मोचन निधि (9,014 करोड़ रुपये) और रक्षा व्यय (5,626 करोड़ रुपये) का खर्च भी शामिल है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पूरक अनुदान मांगों में शुद्ध नकद व्यय अपेक्षाकृत कम है और अन्य विभागों में की गई बचत से इसकी भरपाई की जा सकती है। इससे राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से अधिक होने का जोखिम नहीं है।’
58,378 करोड़ रुपये के शुद्ध नकद व्यय में से 53,858 करोड़ रुपये राजस्व व्यय के लिए और 4,520 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किए गए हैं। इसके साथ ही 13,351 करोड़ रुपये पोषक आधारित सब्सिडी योजना के लिए आवंटित किए गए हैं। इसमें देश की आकस्मिक निधि से स्वीकृत 5,000 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि की वसूली और प्रधानमंत्री गरीब अन्यय योजना के लिए 5,589 करोड़ रुपये शामिल है। इस योजना को 31 दिसंबर, 2023 से अगले 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सरकार ने गैस की कीमतों को ध्यान में रखते हुए उर्वरक सब्सिडी पर सख्ती दिखाई है। सरकार ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए अधिक रकम आवंटित की है क्योंकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘आम चुनाव से पहले किसी भी सूरत में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत रहे। अब अन्य समान स्थितियों में राजकोषीय घाटे में शुद्ध रूप से करीब 58,000 करोड़ रुपये का इजाफा होगा। मगर नॉमिनल कीमतों पर जीडीपी अधिक होगी और इसलिए अनुपात को 5.9 फीसदी पर सीमित किया जा सकता है।’
सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी पर ही रोकने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान सरकार राजकोषीय घाटे के अपने 17.9 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का महज 45 फीसदी ही हासिल कर पाई है।