Moody’s Warns India on Manufacturing: भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिशों को भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी ट्रंप टैरिफ से झटका लग सकता है। क्रेडिट रेटिंग ऐजंसी मूडीज रेटिंग्स अपनी नई रिपोर्ट में यह बात कही है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ में की गई इस बढ़ोतरी से भारत की हाई-वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स में, प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त कमजोर हो जाएगी। यह कदम अमेरिका की उस आपत्ति के चलते उठाया गया है, जिसमें उसने भारत के रूसी तेल आयात जारी रखने पर असहमति जताई है।
मूडीज ने कहा, “एशिया-प्रशांत के अन्य देशों की तुलना में इतना ज्यादा टैरिफ अंतर, भारत की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विकसित करने की महत्वाकांक्षाओं को बुरी तरह प्रभावित करेगा।” क्रेडिट एजेंसी ने चेतावनी दी कि अगर यह विवाद सुलझा नहीं तो ग्लोबल सप्लाई चेन को आकर्षित करने में भारत की हाल की उपलब्धियां उलट सकती हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 6 अगस्त को एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर भारतीय आयात पर अतिरिक्त 25 फीसदी पेनल्टी टैरिफ लगा दिया। यह पहले लागू 25 फीसदी जवाबी टैरिफ के ऊपर है, जिससे कुल टैरिफ दर 50 फीसदी हो गई है। यह वियतनाम, इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे क्षेत्रीय देशों पर लगने वाले 15–20 फीसदी टैरिफ से कहीं ज्यादा है।
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भारत, दक्षिण एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है और टैरिफ बढ़ोतरी का सीधा असर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जो ‘मेक इन इंडिया’ और सप्लाई चेन डाइवर्सिफिकेशन के केंद्र में हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और मशीनरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
मूडीज का अनुमान है कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखता है और टैरिफ का पूरा असर झेलता है, तो सालाना GDP ग्रोथ करीब 0.3 फीसदी अंक घट सकती है। यह आकलन इस सप्ताह की शुरुआत में गोल्डमैन सैक्स ने भी किया था। लेकिन लंबी अवधि में सबसे बड़ा जोखिम मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार पर ब्रेक लगने का है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में चीन के विकल्प के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है। सरकार ने इंसेंटिव स्कीमें शुरू कीं, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारा और इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स और अन्य हाई-टेक सेक्टर में निवेश को बढ़ावा दिया।
इन प्रयासों से कंपनियां अपनी सप्लाई चेन का हिस्सा भारत में शिफ्ट करने लगी थीं। लेकिन मूडीज ने चेताया कि टैरिफ बढ़ोतरी से अमेरिकी बाजार में भारतीय निर्यात कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे और विदेशी निवेशकों के लिए भारत का आकर्षण घट सकता है।
अगर भारत अमेरिकी पेनल्टी से बचने के लिए रूसी तेल का आयात घटाता है, तो तेल आपूर्ति में बाधा आ सकती है और ऊर्जा लागत बढ़ सकती है, जिससे ऊर्जा-गहन उद्योगों पर दबाव पड़ेगा। मूडीज ने कहा, “रूसी तेल से दूरी, वैश्विक आपूर्ति को सख्त करेगी, कीमतें बढ़ाएगी और महंगाई को ऊपर धकेलेगी।”
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खतरों के बावजूद, टैरिफ ऑर्डर लागू होने में 21 दिन का समय है, जिससे संभावित बातचीत की गुंजाइश बनी हुई है। मूडीज़ का कहना है कि समझौते की संभावना है, लेकिन लंबा खिंचने पर अनिश्चितता निवेश फैसलों को अभी से प्रभावित कर सकती है।
भले ही मैक्रोइकोनॉमिक इंडिकेटर स्थिर हैं। जून में महंगाई 2.1% पर रही, जो 2019 के बाद सबसे कम है, और विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत है। मूडीज ने चेताया कि अगर हालात बिगड़े, तो भारत के मैन्युफैक्चरिंग आउटलुक पर निवेशकों का भरोसा कमजोर हो सकता है।