सोमवार को शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2025 में भी भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार तेज बनी रहने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति कम होकर भारतीय रिजर्व बैंक के सहज दायरे में आने का भी अनुमान है, जिससे दर में कटौती शुरू हो सकती है। मगर वैश्विक घटनाएं जोखिम भी खड़े कर सकती हैं। शोध एजेंसियों और अर्थशास्त्रियों ने कहा कि उम्मीद से धीमी वैश्विक वृद्धि, जिंसों के ऊंचे दाम और भू-राजनीतिक संघर्ष से वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
वित्त वर्ष 2024 में अर्थव्यवस्था 7.6 फीसदी की दर से बढ़ने के बाद अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.8 से 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। किंतु वित्त वर्ष 2025 की जून तिमाही में आम चुनावों (19 अप्रैल से शुरू) के कारण सरकार का पूंजीगत खर्च घटने से वृद्धि धीमी पड़ सकती है।
शोध संस्था क्वांटईको ने रिसर्च नोट में कहा है, ‘उद्योग और सेवा क्षेत्रों में आपूर्ति तथा मांग के मोर्चे पर खपत में नरमी आने की आशंका है। मगर कृषि और निवेश में मजबूत इजाफे से वृद्धि दर में गिरावट पर अंकुश लग सकता है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में चुनावी महीनों के दौरान आर्थिक गतिविधियों में भी कमी देखी जा सकती है।’
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी ने कहा कि ऊंची ब्याज दरों का मांग पर असर पड़ सकता है, जबकि बिना किसी गिरवी के दिए गए कर्ज को नियंत्रित करने के लिए नियामक की कार्रवाई से उधारी वृद्धि प्रभावित हो सकती है। हालांकि वित्त वर्ष 2024 की मार्च तिमाही में घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी रहेंगी और पीएमआई, वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, वाहनों की बिक्री, माल की आवाजाही जैसे संकेतकों से भी यही पता चलता है।
मॉर्गन स्टैनली ने वित्त वर्ष 2025 के लिए वृद्धि दर अनुमान को 30 आधार अंक बढ़ा दिया है। उसने कहा कि अगले वित्त वर्ष में हर क्षेत्र में वृद्धि की उम्मीद है और शहरी तथा ग्रामीण बाजारों में खपत और निजी-सार्वजनिक पूंजीगत निवेश में अंतर कम हो सकता है।
अर्थशास्त्रियों को निजी अंतिम खपत व्यय की वृद्धि नरम रहने की चिंता बनी हुई है। वित्त वर्ष 2024 में यह 3.5 फीसदी बढ़ा है और आर्थिक वृद्धि 7.6 फीसदी रही है। मॉर्गन स्टैनली को उम्मीद है कि ग्रामीण और शहरी मांग के बीच अंतर घटने तथा मुद्रास्फीति में नरमी से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की क्रयशक्ति बढ़ेगी, जिससे निजी खपत वृद्धि में सुधार होगा।
दिसंबर तिमाही में सकल स्थिर पूंजी निर्माण में 10.6 फीसदी वृद्धि का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिज़नेस स्टैंडर्ड मंथन कार्यक्रम में कहा था कि वृद्धि लक्ष्य को पूरा करने के लिए उच्च पूंजीगत वृद्धि बनाए रखने की जरूरत है। मुख्य रूप से सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ने से पूंजीगत व्यय और जीडीपी का अनुपात दिसंबर 2020 के 26.5 फीसदी से बढ़कर दिसंबर 2023 में करीब 31 फीसदी हो गया।
मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च बढ़ने, कारोबारी माहौल में सुधरने और निजी निवेश बढ़ने से पूंजीगत खर्च में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। सेवाओं के मजबूत निर्यात के दम पर भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारत के निर्यात में मजबूती दिखी है।
क्वांटईको ने रिसर्च नोट में कहा है, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से ज्यादा मजबूती दिखा रही है, इसलिए उम्मीद है कि निर्यात वृद्धि पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा। लाल सागर क्षेत्र में संघर्ष और भू-राजनीतिक तनाव पर नजर बनी रहेगी।’
खाद्य मुद्रास्फीति के कारण खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में 5 फीसदी के ऊपर रही। क्वांटईको ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में मुख्य मुद्रास्फीति खाद्य पदार्थों की महंगाई पर निर्भर करेगी। मॉर्गन स्टैनली ने भी कहा कि वित्त वर्ष 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति कम होकर 4.5 फीसदी रह सकती है।