विदेश में मांग कम होने और निर्यात घटने के कारण इस साल भारत के जूट उद्योग के राजस्व में 5 से 6 प्रतिशत गिरावट आने की संभावना है। क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में यह सामने आया है। यह लगातार दूसरा साल होगा, जब राजस्व में गिरावट आएगी।
घरेलू मांग स्थिर रहने की संभावना है, लेकिन परिचालन मुनाफे में 200 से 250 आधार अंक से लेकर 5 प्रतिशत तक की गिरावट आने की संभावना है क्योंकि निर्यात ज्यादा लाभदायक होता है, जिसमें कमी आई है। बहरहाल क्रिसिल रेटिंग्स को उम्मीद है कि मजबूत बैलेंस शीट और मामूली पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के कारण क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहने की संभावना है।
क्रिसिल रेटिंग में शामिल जूट कंपनियों के विश्लेषण से ये संकेत मिलते हैं, जिनकी इस सेक्टर के कुल राजस्व में हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सेक्टर के 12,000 करोड़ रुपये के कारोबार में निर्यात की हिस्सेदारी एक तिहाई है। इस वित्त वर्ष में निर्यात 15 प्रतिशत कम रहने की संभावना है, जिसमें पिछले वित्त वर्ष के दौरान 8 प्रतिशत गिरावट आई थी।
विदेशी खरीदार अमेरिका और यूरोप में मंदी की वजह से चिंतित हैं, जिनकी भारत के कुल निर्यात में 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी है।