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चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी रहेगी 4 लाख करोड़ रुपये से थोड़ी कम

Last Updated- December 11, 2022 | 10:30 PM IST

ऐसे समय पर जब बजट आने में कुछ ही हफ्ते बाकी रह गये हैं, आज केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा कि सरकार की खाद्य सब्सिडी वित्त वर्ष 2021-22 में चार लाख करोड़ रुपये से थोड़ी कम रहने की उम्मीद है। यहां सवाददाताओं को संबोधित करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी का अनुमान है जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को लागू करने के लिए अतिरिक्त 1.47 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
बजट पत्रों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में खाद्य सब्सिडी के लिए बजट अनुमान करीब 2.43 लाख करोड़ रुपये है।      
वित्त वर्ष 2021 के लिए संशोधित खाद्य सब्सिडी अनुमान करीब 4.23 लाख करोड़ रुपये का रहा था, हालांकि अप्रैल 2021 में समाप्त वर्ष में बकाया रकमों को चुकता करने के लिए केंद्र ने इसमें कुछ और धन दिया था।     
एनएफएसए के तहत, केंद्र सरकार वर्तमान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से 81 करोड़ से अधिक लोगों को 1 से 3 रुपये प्रति किलो की दर से अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न देती है।
सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अलावा, महामारी के दौरान सरकार पीएमजीकेएवाई के तहत एनएफएसए लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति भी कर रही है। इस योजना को कई बार बढ़ाया जा चुका है और अब यह मार्च 2022 तक जारी रहेगी।   
आभासी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खाद्य मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि वित्तवर्ष 2020-21 के दौरान, सरकारी खाद्य सब्सिडी 5.29 लाख करोड़ रुपये थी।  
कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चेयरमैन आतिश चंद्र ने कहा कि गेहूं और चावल के लिए निगम की सभी खरीद और भंडारण परिचालनों के तीसरे पक्ष से आकलन के लिए एफसीआई ने एक स्वतंत्र एजेंसी को काम सौंपा था और निगम की योजना मार्च 2022 तक खाद्यान्नों के सभी गैर-वैज्ञानिक भंडारों को हटाने की है।  
चंद्रा ने कहा, ‘हम भरोसा दिला सकते हैं कि बहुत जल्द ही गोदामों में अवैज्ञानिक परिस्थितियों में लंबे वक्त तक अन्न रखा हुआ नजर नहीं आएगा।’ एफसीआई की संपत्तियों के मुद्रीकरण के मसले पर चेयरमैन ने कहा कि उनके आकलन के मुताबिक एफसीआई की खाली पड़ी जमीन पर करीब 19.6 लाख टन की परंपरागत डिपो और 8 लाख टन की बुखारी का निर्माण कराया जा सकता है।   
सचिव पांडे ने कहा कि  कैलेंडर वर्ष 2021 में एथनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में भी 62 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि एक साल में पेट्रोल के साथ एथनॉल का मिश्रण 5 फीसदी से बढ़कर 8.1 फीसदी हो गया, जो अब तक का सबसे अधिक स्तर है।
एक देश, एक राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत, 50 करोड़ से अधिक लेनदेन हुए हैं जिसमें खाद्यान्न के माध्यम से 33,000 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी गई।        
सचिव ने कहा, ‘आपको जानकर खुशी होगी कि महामारी की अवधि के दौरान 43 करोड़ से अधिक लेनदेन हुए जिसके लिए 29,000 करोड़ रुपये से थोड़े अधिक की सब्सिडी दी गई। यह अपने आप में असाधारण बात है।’
केवल इसी महीने अंतर राज्य लेनदेन 2 लाख को पार कर गया और केवल दिल्ली में ही 1.5 लाख लेनदेन हुए।
उन्होंने कहा, ‘ओएनओआरसी की व्यवस्था दिल्ली में बहुत देर से शुरू हुई लेकिन इसके बावजूद यह अंतर राज्य पोर्टेबल लेनदेन में सबसे अधिक संख्या वाले राज्यों में से एक बन गया है।’
इस बीच, खाद्य तेलों के दाम में आ रहे उबाल के मुद्दे पर पांडे ने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप के बाद देश में खाद्य तेलों के दाम में लगातार कमी आ रही है और रबी सीजन में सरसों की अच्छी पैदावार होने पर इसमें और कमी आने की उम्मीद है।
अन्य आवश्यक खाद्य जिंसों के मामले में उन्होंने कहा कि चावल और गेहूं की खुदरा कीमतें बहुत स्थिर हैं जबकि दलहनों के दाम में स्थिरता आई है। सब्जियों खासकर प्याज, आलू और टमाटर के दामों में कमी आई है।     
पांडे ने कहा कि सरकार बेघरों और बिना राशन कार्ड वाले निराश्रितों का आंकड़ा जुटाने के लिए प्रणाली विकसित करने के अंतिम चरणों में है ताकि उन तक सब्सिडी वाले खाद्यान्नों का लाभ पहुंचाया जा सके।
चूंकि पहचान पत्र या आवासीय पते के अभाव में बेघरों और निराश्रितों के पास कोई राशन कार्ड नहीं है लिहाजा उन्हें एनएफएसए या पीएमजीकेवाई के तहत कवर नहीं किया जा सका है। पांडे ने कहा, ‘राज्यों को उनकी पहचान की प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा गया है ताकि 1.6 करोड़ पात्र लोगों को एनएफएसए से वंचित नहीं रखा जाए।’      
खाद्य मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों ने एनएफएसए के तहत कवर नहीं होने वाले लोगों को खाद्यान्न वितरण के लिए 11.21 लाख टन खाद्यान्नों का उठाव किया है।
उन्होंने कहा कि 2021-22 में केंद्र की खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत राज्य सरकारों 11 लाख टन से अधिक खाद्यान्नों की खरीद की है।

First Published - December 30, 2021 | 11:33 PM IST

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