वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.3 प्रतिशत रहा। यह वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5 प्रतिशत से कम है। उम्मीद से बेहतर राजस्व प्राप्तियों और खर्च व्यापक तौर पर संशोधित अनुमान के लक्षित स्तर पर रहने की वजह से ऐसा हुआ है।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) के अनंतिम अनुमान के मुताबिक कुल मिलाकर भारत का राजस्व घाटा 18.21 लाख करोड़ रुपये था, जो अनुमानित 18.48 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 27,194 करोड़ रुपये कम है। अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 21 के लिए राजकोषीय घाटा 197.96 लाख करोड़ रुपये जीडीपी का 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
केंद्र सरकार ने बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया था। राजस्व प्राप्तियों में तेज गिरावट और कोविड-19 से राहत के लिए विभिन्न योजनाओं के बढ़े हुए व्यय को देखते हुए यह अनुमान लगाया गया था।
इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अनुमान से ज्यादा कर राजस्व की वजह से वित्त वर्ष 21 के केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा संशोधित लक्ष्य से थोड़ा ककम रहा है और यह बॉन्ड बाजारों के लिए राहत की बात है। उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी जारी करने की वजह से वित्त वर्ष 21 के संशोधित अनुमान में राजस्व व्यय ज्यादा हो गया था।
सीजीए ने अप्रैल, 2021 के आंकड़े भी जारी किए हैं और कुल व्यय 2.26 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो अप्रैल, 2020 में 3.07 लाख करोड़ रुपये था। पूंजीगत व्यय इस महीने में 47,126 करोड़ रुपये रहा है। इस महीने में कुल प्राप्तियां 1.48 लाख करोड़ रुपये रहीं। पूंजीगत व्यय बेहतर रहा है और इसमें पिछले साल की तुलना मेंं 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। नायर ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पिछले साल के कम आधार के कारण यह वृद्धि दर्ज हुई है, क्योंकि अप्रैल, 2020 में गतिविधियां ठप पड़ गई थीं।
केयर रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में लॉकडाउन के कारण कर राजस्व पर दबाव होगा, जबकि गैर कर राजस्व इस साल रिजर्व बैंक द्वारा 99,000 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए जाने के कारण अधिक रहेगा।
