पीएम ईड्राइव योजना की बदौलत पहले साल 11.3 लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल वितरित किए गए जबकि फेम दो की तुलना में इन वाहनों पर आधा अनुदान पेश किया गया। एनवायरनमेंट ऐंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के ग्रीन फाइनैंस सेंटर की काउंसिल ऑफ एनर्जी ने मंगलवार को बताया कि यह बाजार सक्रियता से प्रणाली व्यापी समेकन की ओर निर्णायक बदलाव का संकेत है।
पीएम ईड्राइव में प्रति यूनिट मांग प्रोत्साहन को घटाकर आधा 5,000 रुपये किलोवॉट कर दिया गया है। इसके बावजूद पीएम ईड्राइव ने फेम दो की तुलना में 3.4 गुना उच्च सालाना बिक्री की। कम सब्सिडी के बावजूद इन वाहनों की ज्यादा बिक्री यह दर्शाती है कि ईवी वाहनों का बाजार बढ़ रहा है, मजबूत हो रहा है और अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक एकीकरण के लिए तैयार है।
जीडीपी में भारत के वाहन क्षेत्र का योगदान 7.1 प्रतिशत है और इस क्षेत्र में 3 करोड़ से अधिक लोग काम करते हैं। ईवी की बिक्री वित्त वर्ष 20 के बाद से 15 गुना बढ़ गई है। वित्त वर्ष 20 में ईवी वाहनों की बिक्री 2,000 इकाइयों से कुछ अधिक थी और यह वित्त वर्ष 25 में बढ़कर 19.6 लाख हो गई थी। लिहाजा वाहनों की कुल बिक्री में ईवी की दायरा बढ़कर 7.49 प्रतिशत हो गया।
सीईईडब्लूय-जीएफसी के अध्ययन ‘भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी परिवर्तन का संचालन : बाजार की गतिशीलता से नीतिगत बदलाव’ में राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के रुझानों का आकलन किया गया है और फेम 2 (वित्त वर्ष 2020- वित्त वर्ष 2024) और पीएम ईड्राइव (वित्त वर्ष 2025-वित्त वर्ष 2028) के प्रदर्शन की तुलना की गई है। फेम दो भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण था जबकि पीएम ई ड्राइव उसी आधार पर आगे बढ़ते हुए इसे अधिक कुशलतापूर्वक और स्थायी रूप से अपनाने का काम करता है।