भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमन का कहना है कि चुनौतियों का सामना कर रहे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की मदद करने और उन्हें उबारने के लिए वित्तीय संस्थानों को सहयोगात्मक कदम उठाने चाहिए। इन कदमों में लागत कम कर मुनाफा बढ़ाने के विकल्पों, कर्ज भुगतान के लिए रियायत की अवधि, कर्ज भुगतान की योजना में बदलाव जैसे कदम शामिल हो सकते हैं।
फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफईडीएआई) के वार्षिक समारोह के मौके पर स्वामीनाथन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र को एमएसएमई के लिए अधिक संवेदनशील होने के साथ सहानुभूति वाला रवैया अपनाना चाहिए क्योंकि ये अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ‘वित्तीय अनुशासन महत्वपूर्ण है और साथ ही एमएसएमई के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे कम पूंजी आधार, देर से होने वाले भुगतान से नकदी की तंगी, अस्थिर बाजार परिस्थितियां तथा बाहरी आर्थिक दबाव की वजह से आकलन के साथ कार्रवाई के लिए अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि कर्ज देने वाले और लेने वालों के बीच सहयोग और संवाद से समाधान करने में मदद मिल सकती है और इससे एमएसएमई और इसे पूंजी देने वाले कर्जदाताओं के वित्तीय हितों की रक्षा भी हो सकती है।