वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए सही नियमों और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है। वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के 16वें वार्षिक दिवस के मौके पर बोल रही थीं। इस अवसर पर सीतारमण ने कहा कि बाजार में बदलावों को समझने और समय के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए नियामक संस्थाओं को अग्रिम रूप से कदम उठाना होगा।
सीतारमण ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का उद्देश्य बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और अनुचित प्रतिस्पर्धी प्रथाओं को रोकना है। इसके अलावा, वह यह भी ध्यान दिलाया कि जब किसी कंपनी का विलय या अधिग्रहण एक निश्चित सीमा से अधिक हो, तो उसे इस आयोग से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होता है। उन्होंने यह भी बताया कि नियमों का ढांचा इस तरह से होना चाहिए, जो उन संयोजनों (मर्जर्स और एक्विज़िशन्स) को जल्दी से मंजूरी दे सके, जो प्रतिस्पर्धा को नुकसान नहीं पहुंचाते।
वित्त मंत्री ने प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि नियामक संस्थाओं का यह काम है कि वे बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के साथ-साथ विकास को प्रोत्साहित करने वाली सोच को भी बनाए रखें। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “नियामक सतर्कता और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करने में आयोग की क्षमता भारत के लिए एक मजबूत, समान और नवाचार-संचालित आर्थिक ढांचा बनाने में महत्वपूर्ण होगी।”
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सीतारमण ने अपने संबोधन में 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के लक्ष्य की ओर भी इशारा किया। उनका मानना था कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की कड़ी निगरानी और उचित नीतियां इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत की आर्थिक समृद्धि को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारतीय बाजार को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से मजबूत बनाएगा।
सीतारमण ने नई तकनीकों, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उदय पर भी विचार किया। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें बाजार शक्ति, पारदर्शिता, डेटा पहुंच, एल्गोरिथमिक पूर्वाग्रह और प्रतिस्पर्धी हानि से जुड़े नए सवाल उठाती हैं। डिजिटल प्लेटफार्मों के बढ़ते प्रभाव और डेटा असमितताओं के कारण प्रतिस्पर्धी बाजारों को चुनौतियां मिल रही हैं। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर डिजिटल व्यवसायों के बढ़ते प्रभाव और सीमा-पार के मामलों के संदर्भ में वैश्विक सहयोग और लचीले नियमन की आवश्यकता है।
इस अवसर पर वित्त मंत्री ने ‘पब्लिक प्रोक्योरमेंट ऑफिसर्स के लिए डायग्नोस्टिक टूलकिट’ और ‘कॉम्बिनेशंस पर FAQ’ दस्तावेजों को भी जारी किया। यह दस्तावेज सरकारी अधिकारियों को बेहतर समझ प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं, ताकि वे बेहतर तरीके से अपने कार्यों को समझ सकें और नियमों के अनुरूप कार्रवाई कर सकें।
सीतारमण ने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि प्रतिस्पर्धा आयोग का कार्य केवल नियमन तक सीमित नहीं रह सकता। यह नवाचार और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए लचीला और समय के साथ विकसित होने वाला होना चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने बाजारों में न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बदलावों की दिशा में भारत को अग्रसर होने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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