राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से आज जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल महीने में भारत में फैक्टरी उत्पादन बढ़कर 8 महीने के उच्च स्तर पर 7.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसकी मुख्य वजह कम आधार है। बहरहाल पिछले महीने की तुलना में अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 9.2 प्रतिशत संकुचित हुआ है।
अप्रैल में बिजली का उत्पादन बढ़तर दो अंकों में (11.8 प्रतिशत) पहुंच गया, जबकि खनन और विनिर्माण में क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
इस्तेमाल के आधार पर वर्गीकरण के मुताबिक देखें तो उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं को छोड़ दें तो सभी क्षेत्रों में तेजी रही है। निवेश की मांग का प्रतिनिधित्व करने वाली पूंजीगत वस्तुओं में 14.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं में सिर्फ 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे गांवों में कमजोर मांग के संकेत मिलते हैं। 6 महे के लगातार संकुचन के बाद उपभोक्ता वस्तुओं में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आईआईपी वृद्धि के आंकड़े चुनौतीपूर्ण काल में पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स और वस्तु एवं सेवा कर संग्रह के आंकड़ों के प्रति भरोसा जताते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या यह गति बनी रहती है या नहीं। जीडीपी में अनुमानित वृद्धि के लिए यह जरूरी है कि पूरे साल यह 7 प्रतिशत पर बरकरार रहे। इसके बने रहने का मंत्र यह है कि चौथी तिमाही में भी कॉर्पोरेट बेहतर प्रदर्शन करें। आने वाले महीनों में ग्राहकों की ओर से मांग औऱ कॉर्पोरेट निवेश से इसकी राह निकल सकती है।’
हाल के महीनों में अनुमान लगाने वाले कई पेशेवरों ने भारत की वृद्धि अनुमान को घटा दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने जहां वित्त वर्ष 23 के लिए अपने पहले के 7.2 प्रतिशत के वृद्धि अनुमान को बरकरार रखा है, वहीं ऑर्गेनाइजेशन फार इकोनॉमिक कोऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) ने बुधवार को वित्त वर्ष 23 के लिए वृद्धि का अनुमान पहले के 8.1 प्रतिशत अनुमान से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। यह कमी रूस-यूक्रेन युद्ध के पड़ने वाले असर को लेकर की गई है।
फिच रेटिंग ने शुक्रवार को भारत की सॉवरिन रेटिंग नकारात्मक से बढ़ाकर स्थिर कर दी है वहीं वित्त वर्ष 23 के लिए वृद्धि अनुमान 8.5 प्रतिशत से घटाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया है। ऐसा जिंसों के दाम में वैश्विक तेजी की वजह से पड़ने वाले महंगाई के दबाव के कारण किया गया है, जिससे वृद्धि की गति पर असर पड़ा है।
अप्रैल महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर बढ़कर 8 साल के उच्चतम स्तर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खाद्य व ईंधन के दाम में बढ़ोतरी की वजह से ऐसा हुआ है। ज्यादातर विश्लेषक उम्मीद कर रहे हैं कि मई में यह 7 प्रतिशत से ऊपर रहेगी, जो सोमवार को जारी होने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में लगातार दूसरी बार 50 आधार अंक की बढ़ोतरी करते हुए रीपो दर 4.9 प्रतिशत कर दिया है।
