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फैक्टरी उत्पादन 11 महीने के निचले स्तर पर

Last Updated- December 12, 2022 | 3:07 AM IST

भारत के घरेलू कारखानों से ऑर्डर और उत्पादन जून में 11 महीनों के निचले स्तर पर रहा क्योंकि कोरोनावायरस को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों से विनिर्माण में गिरावट आई।
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्टरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) फिसलकर जून में 48.1 रहा, जो मई में 50.8 और अप्रैल में 55.5 था। यह जुलाई 2020 के बाद पहली बार बिना किसी बदलाव के अहम निशान 50 से नीचे रहा। इस अवधि में राज्यों के बंदिशों में ढील देने के बावजूद गिरावट आई है। पीएमआई सूचकांक 50 से ऊपर रहना आर्थिक गतिविधियों में विस्तार और 50 से नीचे रहना संकुचन का सूचक है।
सर्वेक्षण के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में कारखानों में उत्पादन औसतन 51.4 रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि से तीन महीने का सबसे निचला आंकड़ा है।
आईएचएस मार्किट में अर्थशास्त्र की एसोसिएट निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘भारत में कोविड-19 संकट गहराने का विनिर्माण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा। जून में नए ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात और इनपुट खरीद की वृद्धि बाधित हुई क्योंकि महामारी पर काबू के उपायों से मांग थम गई। हालांकि संकुचन की दरें पहले लॉकडाउन के मुकाबले कम रहीं।’
नए ऑर्डर पिछले साल अगस्त में बढऩे लगे थे मगर इस साल जून में बढ़ोतरी थम गई। कंपनियों का कहना है कि महामारी की वजह से मांग में गिरावट आई है। इनका कहना है कि संकुचन की रफ्तार पिछले साल कोविड-19 की शुरुआत के मुकाबले काफी कम रही। सर्वेक्षण में पता चला कि कमजोर मांग और उत्पादन जरूरतों में कमी से कंपनियों ने जून में कच्चे माल आदि की खरीद घटा दी। खरीद के स्तरों में गिरावट की रफ्तार काफी अधिक रही, जो मार्च, 2005 में आंकड़ों का संग्रहण शुरू होने के बाद सबसे तेज गिरावट में से एक थी।  इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जून पीएमआई में गिरावट अब तक उपलब्ध ज्यादातर सकारात्मक उच्च बारंबारता आंकड़ों के विपरीत रही। डीजल की खपत भी इस साल जून में पिछले साल जून के मुकाबले घटी है। इसकी वजह ऊंची कीमतें हो सकती हैं, जिनसे कुछ माल की ढुलाई रेलवे से हुई।’

First Published - July 1, 2021 | 11:34 PM IST

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