Centre’ tax revenue projections: केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए पूर्ण बजट में कर राजस्व अनुमान में 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये का इजाफा कर सकती है। अंतरिम बजट में आर्थिक वृद्धि के अनुमान से ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद और प्रत्यक्ष कर तथा केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर संग्रह में उछाल से सरकार को ज्यादा कर राजस्व हासिल हो सकता है।
मामले के जानकार दो अधिकारियों ने कहा, ‘सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के ऊंचे अनुमान और हालिया कर संग्रह में तेजी को देखते हुए हमें उम्मीद है कि बजट में प्रत्यक्ष कर प्राप्तियों के अनुमान में 15,000 से 20,000 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष कर प्राप्तियों में भी इतना ही बढ़ोतरी की जा सकती है।’
वित्त वर्ष 2025 के लिए 38.3 लाख करोड़ रुपये का सकल कर राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 2024 के 34.6 लाख करोड़ रुपये से 10.6 फीसदी अधिक है।
वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 21.99 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों से 16.31 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.54 फीसदी बढ़कर 5.74 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
कंपनियों द्वारा ज्यादा अग्रिम कर देने से प्रत्यक्ष कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी दिख रही है। अग्रिम कर की पहली किस्त का भुगतान 15 जून तक करना था और उस दौरान इस मद में भुगतान 27.34 फीसदी बढ़कर 1.48 लाख करोड़ रुपये रहा। इसमें कॉर्पोरेट आयकर 1.14 लाख करोड़ रुपये और व्यक्तिगत आयकर 34,470 करोड़ रुपये शामिल है।
इसी तरह इस साल 11 जुलाई तक सकल कर संग्रह (रिफंड से पहले) 6.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें व्यक्तिगत आयकर का योगदान 3.61 लाख करोड़ रुपये और कॉर्पोरेट कर की हिस्सेदारी 2.65 लाख करोड़ रुपये रही। वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 फीसदी तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि वित्त वर्ष 2026 में इसे 4.5 फीसदी तक कम किया जा सके।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनों में तेजी बनी रह सकती है जिससे सरकार को अपनी पूंजीगत खर्च योजना पर ध्यान देने और कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘इस साल अर्थव्यवस्था 7 से 7.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है और कर राजस्व भी बढ़ रहा है। खपत मांग में अभी सुधार नहीं हुआ है और इसमें तेजी आने से जीएसटी संग्रह और बढ़ेगा। इसलिए कर संग्रह अनुमान में वृद्धि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’